पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बेलि : 1 : 4
बेलि : 1 : 4
सोवत गैल बिगोय , हो रमैया राम !
शब्द अर्थ :
सोवत = सोते हुवे , निन्द में ! गैल = गया ! व्यतित हुवा ! बिगोय = बिगाड दिया , खर्च किया ! हो रमैया राम = हे राममय संत साधु !
प्रग्या बोध !
परमात्मा कबीर बेलि के इस पद में बतते है भाईयों केवल निन्द और निन्द मे दिखे सपने में खुश ना हो ! जागो ! निन्द में दिखे स्वर्ग और अन्य सुख वास्तविक नही ! केवल एसे निन्द से खुश होने से काम नही चलेगा ! जीवान केवल निन्द मे खर्च करने के लिये नही मिला है , आलस छोडो और जीवन का उद्देश समजो जो मोक्ष , निर्वांण , चेतन राम के दर्शन है और वह पुरूषार्थ में है , नही की आलसी निन्द और सोते हुवे सपनो में ! राम प्रेमियो जागो !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ प्रतिष्ठान