बनाये नियम और चले गये भगवान
निर्वांण अवस्था में सदा के लिये
अब संसार तुम्हारा और नियम तुम्हारे
चाहे धर्म करो अधर्म कर्म तुम्हारे !
ज़िन्दा करो मरे मानव को या मारो
जूडना टुटना नियम मेरा तुम जानो
मरम्मत कर सकते हो तो करो लेकीन
मरे को ज़िवित करो पापपुण्य तुम्हारे !
न याद करो मुझको कोई बात नही
वैसेभी मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नही
मै मस्त हूँ खुष हूँ निर्वाण समाधी में
पूजा मन्दिर भोग न चाहिये तुम्हारे !
पहले भी कह चुका हूँ बन कबीर
मै तो मालिक हूँ अमिरो का अमिर
निर्गुण निराकार मै मेरा है स्वरूप
खुदी से खुदा हूँ न जुदा हूँ तुम्हारे !
पापी की सत्ता के भागीदार तुम
न लड़ो तो हो कायर निकम्मे तुम
मै क्यू आवू बन अवतार धर्तीपर
तुम पर ही छोडे है ये काम तुम्हारे !
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