Sunday, 14 December 2025

Bhagwan ! A poem by Daulatram

#भगवान ! 

बनाये नियम और चले गये भगवान 
निर्वांण अवस्था में सदा के लिये  
अब संसार तुम्हारा और नियम तुम्हारे 
चाहे धर्म करो अधर्म कर्म तुम्हारे !

ज़िन्दा करो मरे मानव को या मारो 
जूडना टुटना नियम मेरा तुम जानो 
मरम्मत कर सकते हो तो करो लेकीन 
मरे को ज़िवित करो पापपुण्य तुम्हारे !

न याद करो मुझको कोई बात नही 
वैसेभी मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नही 
मै मस्त हूँ खुष हूँ निर्वाण समाधी में 
पूजा मन्दिर भोग न चाहिये तुम्हारे ! 

पहले भी कह चुका हूँ बन कबीर  
मै तो मालिक हूँ अमिरो का अमिर 
निर्गुण निराकार मै मेरा है स्वरूप 
खुदी से खुदा हूँ न जुदा हूँ तुम्हारे ! 

पापी की सत्ता के भागीदार तुम 
न लड़ो तो हो कायर निकम्मे तुम 
मै क्यू आवू बन अवतार धर्तीपर 
तुम पर ही छोडे है ये काम तुम्हारे !

#दौलतराम

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