क्षेम कुशल औ सही सलामत , कहहु कौन को दीन्हा हो
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#विवेचन :
भगवान कबीर कहरा में कहते है भाईयों बताओ संसार में सब ठीक है कुशल है मंगल है , आनंद ही आनंद है ऐसा किसका जीवन है ? कोई कहगा किसी का नही , सच है क्यू की हम मोह माया इच्छा तृष्णा कपट राग लोभ हत्या हिंसा विषमता अस्पृश्यता आदि अकुशल कर्म करते हुए जीते है तो जीवन कुशल मंगल कैसे होगा !
अपने जीने के ढंग को सुधारो अधम वैदिक ब्राह्मणधर्म की अकुशल सोच छोड़ो मूलभारतीय हिन्दूधर्म की शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों वाली जिन्दगी जीवो , खुद जीवो और दूसरे को जीने तो , असमानता विषमता से भला कोई कैसे सुखी हो सकता है !
#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ