Monday, 31 March 2025

Shiv Sena !

#शिव__सेना ! 

आया चोर ले भागा 
लूटेरा ले गया लूट 
हाथ मल के रह गये 
कहे हम बहादुर झूठ ! 

या तो रपट लिखावो 
ठाने के चक्कर काटो 
या खुद ढूंडो उसको 
अच्छा सबक सिखावो ! 

या फिर मावले जुटावो 
शिव सेना फिर बनावो 
लूट ले आवो सुरत से 
स्वराज पर उसे लगावो !

#दौलतराम

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 17

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 17

कहरा : 1 : 17

जाकर गाँठि समर कछू नाही , सो निर्धनिया होय डोले हो ! 

शब्द अर्थ : 

जाकर = ज़िसके ! गाँठि = खाते मे ! समर = कर्तृत्व ! कछू नाही = कुछ नही ! सो = वो ! निर्धनिया = गरीब ! होय डोले हो = संसार मे रहता है ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कर्तुत्ववान लोगोंकी तारीफ करते है ! कार्यशिल लोग श्रीमंत होते है क्यू की समय और शक्ती का सदूपयोग कुछ निर्मिती और समाज हित मे करते है , समाजके कल्याण की सोचते है ! दान दक्षिणा वही लोग दे सकते है जो मेहनत कर धन दौलत कमाते है ! मुलभारतिय हिन्दूधर्म मेहनत से धन संपत्ती कमावो और धार्मिक कार्य , अच्छे कार्य मे खर्च करो कहते है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Sunday, 30 March 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 16

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 16

कहरा : 1 : 16

लीन्ह बुलाय बात नहिं पुछै , केवट गर्भ तन बोले हो ! 

शब्द अर्थ : 

 लीन्ह बुलाय = निमंत्रण देकर बुलाना , आदर से बात करना ! बात नहिं पुछै = उत्तर न देना ! केवट = मछीमार ! तन = शरीर ! तन बोले = हरकते !

प्रग्या बोध :

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे बताते है की मुलभारतिय हिन्दूधर्म के भोले भाले लोग विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के होमहवन , वैदिक निरर्थक बडबड , सोमरस , गाय ,बैल घोडे आदी की बली के बाद परोसा गया मांसाहार , दारू , मेनका ऊर्वशी का नाच गाना , वैदिक स्त्रिया जो मंदिर मे देवदासी बनकर मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोगोका दिल बहलाती थी इन सभी को भूलकर कुछ लोगोने वैदिक ब्राह्मणधर्म को अपनाकर ब्राहमिनो के निचे क्षत्रिय , वैश्य , शुद आदी वर्ण और मनुस्मृती का कानुन स्विकारा है पर आज वो सब दुखी है अफसोश कर रहे है क्यू की विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म मे समता , भाईचार नही , शोषण है जातिवाद वर्णवाद है छुवाछुत अस्पृष्यता है उनहे अब लगता है वे मछली जैसे वैदिक ब्राह्मण के जाल मे फस गये है और गुलामी ज़िल्लत अपमान के शिवाय और कोई स्थान नही है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी