Sunday, 30 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 26

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2  : 26

चाचर  : 2 : 26

तुम  टेकेउ  राम  जहाज , समुझि  मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

तुम   = हे  मानव  !  टेकेउ  = टिका  ,तिरस्कार  करना  ! राम  जहाज  = राम  नाम  की  नौका , जहाज  , जीवन चेतना  ! मन  बौरा   हो  = मन  पगला  गया  है  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर चाचर  के  इस  पद  में  बताते  है भाईयों  निराकार  निर्गुण  अजर  अमर सार्वभौम सदा न्यायी  , समता  और  सुखदाई  कल्याणकारी संसार  के  चालक  मालक  चेतन  तत्व  राम  की  दया  से  ही  हम  यह  शरीर   रूपी  नाव  धारण  किये  है  !  चलानेवाला  वही  चेतन  राम  है  ! पर  हम  मै  मै  बोल  कर  माया  मोह  अहंकार  के  कारण  खुद  को  ही  मालक  चालक  समजाते  है !  जहाँ  तक  हम  धर्म  का  पालन करते  तब  तक  तो  ठिक  है  , राम  ही  धर्म  है  ! पर  हम  राम  छोडते  है  अधर्म  पकडते  है  तब  जीवन  मुसीबतो  से  भर  जाता  है  !  तुम  राम  पर  ही  टिका  करने  लगते  हो  और  वो  नही  है  निर्दई  है  कहने  लगते  हो ! 

भाईयों  धर्म  तो  सत्य  है  ,  न्यायी  है  कल्याणकारी है  ,  जो  शिल  सदाचार  भाईचारा  समता  ममता चाहता है  !  तुम  इसके  विपरित  दुसरे  को  हीन अस्पृष्य  निच  कहोगे  गरीबोका  शोषण  करोगे  तो  एसे  अधमी  के  साथ  भला  राम  कहा संतुस्ट  होगा  ! यह  पागलपन  छोडो  ! राम  को  पहचानो  राम  राज्य  को  पहचानो  !  उसको  छोडोंगे  तो  जीवन नर्क   है  व्यर्थ  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती  
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण,  अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

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