पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2 : 26
चाचर : 2 : 26
तुम टेकेउ राम जहाज , समुझि मन बौरा हो !
शब्द अर्थ :
तुम = हे मानव ! टेकेउ = टिका ,तिरस्कार करना ! राम जहाज = राम नाम की नौका , जहाज , जीवन चेतना ! मन बौरा हो = मन पगला गया है !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में बताते है भाईयों निराकार निर्गुण अजर अमर सार्वभौम सदा न्यायी , समता और सुखदाई कल्याणकारी संसार के चालक मालक चेतन तत्व राम की दया से ही हम यह शरीर रूपी नाव धारण किये है ! चलानेवाला वही चेतन राम है ! पर हम मै मै बोल कर माया मोह अहंकार के कारण खुद को ही मालक चालक समजाते है ! जहाँ तक हम धर्म का पालन करते तब तक तो ठिक है , राम ही धर्म है ! पर हम राम छोडते है अधर्म पकडते है तब जीवन मुसीबतो से भर जाता है ! तुम राम पर ही टिका करने लगते हो और वो नही है निर्दई है कहने लगते हो !
भाईयों धर्म तो सत्य है , न्यायी है कल्याणकारी है , जो शिल सदाचार भाईचारा समता ममता चाहता है ! तुम इसके विपरित दुसरे को हीन अस्पृष्य निच कहोगे गरीबोका शोषण करोगे तो एसे अधमी के साथ भला राम कहा संतुस्ट होगा ! यह पागलपन छोडो ! राम को पहचानो राम राज्य को पहचानो ! उसको छोडोंगे तो जीवन नर्क है व्यर्थ है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दुधर्म विश्वपीठ
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