Monday, 1 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 27

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2 : 27

चाचर : 2 : 27

कहहिं कबीर जग भर्मिया , मन बौरा हो ! 

शब्द अर्थ : 

कहहिं कबीर = कबीर कहते है ! जग भर्मिया = जग को भ्रम मानने वाले ! मन बौरा हो = मन पगलाया है ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में कहते है भाईयों कुछ लोग इस संसार को , जग को , शृष्टी को असत्य और भ्रम , कल्पना कहते है पर यह शृष्टी वास्तविक है ! सत्य है ! कोई भ्रम या कल्पना नही ! राम सत्य है और राम -:मय यह शृष्टी भी सत्य है ! यह सत्य है की एक राम राजा हुवे जो मौर्य कुल नाग वंशी थे , दुसरे राम हम सब में है , तिसरे राम यह शृष्टी जग है ज़िसमे हम सब है और चवथे राम इन सब से परे ज़हाँ कबीर स्थित है ! उस स्थान की अवस्था वही समज सकता है जो शिल सदाचार का मुलभारतिय हिन्दूधर्म का समग्र पालन करता है ! वह अवस्था मोक्ष की अवस्था विशुद्ध चेतन राम की अवस्था है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दुधर्म विश्वपीठ , 
कल्याण अखण्ड हिन्दुस्तान शिवशृष्टी

No comments:

Post a Comment