Sunday, 28 July 2024

Pavitra Bijak: Pragya Bodh : Ramaini : 37

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ३७

#रमैनी : ३७

एक सयान सयान न होई * दुसर सयान जाने कोइ 
तीसर सयान सयानहि खाई * चौथे सयान तहां ले जाई 
पंचये सयान जो जनेउ कोई * छठयें मां सब गयल बिगोई 
सतयां सयान जो जानहु भाई * लोक वेद माें देऊं देखाई 

#साखी : 

बीजक बित्त बतावै, जो बित गुप्ता होय / 
ऐसे शब्द बतावै जीवको, बुझई बिरला कोय // ३७ //

#शब्द_अर्थ : 

सयान = ज्ञान ! बीजक = गुप्त धन ,मूल तत्व का ज्ञान ग्रंथ 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के एक के बाद एक वेद से लेकर मनुस्मृति तक सारे ज्ञान , विचार , ग्रंथ , कृतियां सब अज्ञान मूर्खता और अंधश्रद्धा फैलाने वाली है ! सब में भेदाभेद , जाति वर्ण व्यवस्था , अस्पृश्यता विषमता , लूटपाट के विविध मार्ग झूठ का आख्यान है !

एक गलती तो हो सकती है उसे सुधारा जा सकता है पर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग हर आने वाले कृति कार्य विचार में अपने पहले की मूर्खता पूर्ण बातो का समर्थन करते है !

कबीर साहेब कहते है भाईयो यहां के लोगों का जो धर्म है जिसे लोकधर्म कहा जाता है , वो मूलभारतीय हिन्दू धर्म है , वही सच्चा लोक हितेशी , कल्याणकारी धर्म है जो सनातन पुरातन सिंधूहिन्दू संस्कृति काल पूर्व से लोकनाथ , आदिनाथ , पशुपतिनाथ , शिव ने समता भाईचारा मानवता सदाचार शील का धर्म बताया है वही बिजक है ! यही हमारा मूलतत्व धर्मज्ञान है जो परिपूर्ण है उसका ही आचरण करो ! वेद से लेकर मनुस्मृति तक सभी ब्राह्मणी ग्रंथ मूलभारतीय विरोधी है !  

वैदिक ब्राह्मणधर्म अलग है और मूलभारतीय हिन्दू धर्म अलग है ! हमारा कल्याणकारी लोकधर्म है तो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के ब्रह्मा का विषमता वादी धर्म है !

#दौलतराम

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