#रमैनी : ४०
आदम आदि सुधि नहि पाई * मामा हवा कहां ते आई
तब नहिं होते तुरक औ हिन्दू * माय के रुधिर पिता के बिन्दू
तब नहिं होते गाय कसाई * तब बिसमिल्ला किन फुरमाई
तब नहिं होते कुल और जाती * दोजख बिहिस्त कौन उतपाती
मन मसले की सुध नहिं जाना * मति भुलान दुइ दीन बखाना
#साखी :
संजोगे का गुण रवै, बिजोगे का गुण जाय /
जिभ्या स्वारथ कारने, नर किन्है बहुत उपाय // ४० //
#शब्द_अर्थ :
आदम = ईब्राहमी ब्राह्मण धर्म का पहला मानव ! आदि = श्रृष्टि की रचना ! सुधि = ज्ञान ! मामा = पहली स्त्री , आदम की हौवा ! हवा = हव्वा ! फुरमाई = आज्ञा देना , अनुमति देना ! मन मसले = मन कल्पित , मन गढंत ! रवै = प्रगट होना! संजोग बिजोग = जुड़ना टूटना ! जाय = नस्ट होना !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाइयों श्रृष्टि की रचना एक अद्भुत संयोग है को चेतन राम की विलक्षण प्रतिभा की कृति है ! मानव और सभी चेतन अचेतन , दृश्य अदृश्य सब उसी की निर्मीति है ! आदम , ब्रह्मा खुद नही जानता उसकी निर्मित कैसे हूवी ओर हव्वा की उत्पत्ति कैसे हुवी ! इब्राहमी ख्रिस्ती मुस्लिम ब्राह्मण कोई धर्म नही थे तब गाय काटने के अनुमति किस ने दी पूछते है कबीर !
कबीर साहेब कहते है मन गढंत धर्म जीभ के चोचले पूरे करने के लिए बनाए गए है और प्राणी हत्या को जायज ठहराया गया ! होम हवन में गाय घोड़े की बली , झटका और लटका सब मानव निर्मित वेवस्था है !
चेतन राम ने न जात बनाई , ना वर्ण ना गोत्र कुल ना स्वर्ग नरक ये मती भ्रष्ट करने के लिए वैदिक ब्राह्मणधर्म और अन्य धर्म कि कारस्थानि है ! ईश्वर , परमात्मा चेतनराम की आज्ञा या अनुमति किसी अधर्म विकृति शोषण विषमता अस्पृश्यता को चेतन राम की अनुमति नाही है ! ये अनेक धर्म अधर्म मानव निमित है ! मानव धर्म तो मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जैसा की हमारा पुरातन सनातन आदिधर्म मूलधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म है !
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