पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बेलि : 1 : 3
बेलि : 1 : 3
जो जागल सो भागल , हो रमैया राम !
शब्द अर्थ :
जागल = जागृत ! भागल = दौडे गा आगे जायेगा ! हो रमैया राम = राममय साधु संत !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बेलि के इस पद में कहते है भाईयों वही साधु संत संसारी पुरूष आगे जयेगा और परमात्मा चेतन राम के प्रथम दर्शन करेगा जो जागृत रह कर धर्म मार्ग से जीवन यापन करेगा ! जो गलत रास्ते पर आँख मुन्द कर चलेगा जैसा की विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का विकृत मार्ग है वह निच्छित ही जीवान चक्र में भटकता रहेगा ! बार बार नर्क के दुख भोगेगा ! क्यू की अधर्म का रास्ता सिधे नर्क की तरफ ही जाता है ! वैदिक ब्राह्मणधर्म नर्क का द्वार है ! तो मुलभारतिय हिन्दूधर्म स्वर्ग और कल्याण निर्वांण सुख का द्वार है , मार्ग है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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