Saturday, 6 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Beli : 1 : 4

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बेलि  : 1 : 4

बेलि  : 1 : 4

सोवत  गैल  बिगोय , हो  रमैया  राम  ! 

शब्द  अर्थ  :

सोवत  = सोते  हुवे , निन्द  में  ! गैल  = गया  ! व्यतित  हुवा  !  बिगोय = बिगाड  दिया , खर्च किया ! हो रमैया राम = हे  राममय  संत  साधु  ! 

प्रग्या  बोध ! 

परमात्मा  कबीर  बेलि  के  इस  पद  में  बतते  है  भाईयों  केवल  निन्द  और  निन्द  मे  दिखे  सपने  में  खुश  ना  हो  !  जागो ! निन्द  में  दिखे  स्वर्ग  और  अन्य  सुख  वास्तविक  नही !  केवल  एसे  निन्द  से  खुश  होने  से  काम  नही  चलेगा !  जीवान  केवल  निन्द  मे  खर्च  करने  के  लिये  नही  मिला  है , आलस  छोडो  और  जीवन  का  उद्देश  समजो  जो  मोक्ष ,  निर्वांण , चेतन राम  के  दर्शन  है  और  वह  पुरूषार्थ  में  है  , नही  की  आलसी  निन्द  और सोते  हुवे  सपनो  में  !  राम  प्रेमियो  जागो  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ प्रतिष्ठान 
कल्याण, अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

No comments:

Post a Comment