Saturday, 26 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 12

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 12

कहरा : 2 : 12 

जतइत के धन हेरिन ललचिन , कोदइत के मन दौरा हो ! 

शब्द अर्थ : 

जतइत = नजदिक ! धन = पैसा , धन संपत्ती ! हेरिन = नजर ! ललचिन = लालच ! कोदइत = खुद ! मन = इच्छा ! दौरा = दुर , दुसरा ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे लोगोके मन मे क्या चलता रहता है इस की चर्चा करते हुवे कहते है लोगोंकी नजर पडोसी के धन संपत्ती पर लगी रहती है ! लालची लोग सोचते है काश पडोसी की संपत्ती उसकी हो जाये पर लोग ये नही सोचते पडोसी भी एसा ही सोचता होगा !  

लोगोंको लगाता है उनकी धन संपत्ती की कभी चौरी न हो , उनके पास ही सुरक्षित बनी रहे पर दुसरे की धन संपत्ती की चौरी हो जाय , क्षय हो ! ये मानसिकता गलत है अकुशल है , सब के मंगल कल्याण की नही ऐस लिये विकार भरी अधार्मिक है ! एसे विचार को त्याग देना ही धर्म है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 23 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 9

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 9

कहरा : 2 : 9

गाइन माँहि बसेउ नहिं कबहुँ , कैसेक पद पहिचनेबेउ हो ! 

शब्द अर्थ : 

गाइन = गाना , बाजना ! माहिं = कार्य ! बसेउ = बैठने ! नहिं = ना हिस्सा लेना ! कैसेक = किस प्रकार ! पद = गाना उसका राग अर्थ आदी ! पहिचनेबेउ = पहचान करोगे ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद के माध्यम से बताना चाहते है की स्वअनुभूती , स्वाध्याय की जरूरत हर जगह होती है और ज़हाँ परमार्थ , धर्म की बात हो , मुक्ती निर्वांण की बात हो वहाँ बिना साधु संगत किये बिना और विचार सुने बिना कोई सदमार्ग पर कैसे चल सकता है ! बचपन मे माता पिता रिस्तेदार गुरू होते है पर बडे होने पर खुद अच्छा बुरा का निर्णाय करना होता है इस लिये गुरू की संगत धार्मिक सत संगत मे जावो सुनो और उस मे सार असार क्या है खुद पहचानो ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Thursday, 17 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 3

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 :3

कहरा : 2 : 3

नित उठि कोरिया पेट भरतु है , छिपिया आँगन नाँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

नित उठि = रोज सबेरे उठकर ! कोरिया = कोरी , किसान ! पेट भरतु = पेट के लिये , खाने के लिये अनाज पैदा करना ! छिपिया = घर काम करने वाले, पाणी भरने वाले ! नाँचे हो ! लाना ले जाना ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे किसान , कुर्मी , कोरी , छिपिया आदी वेवसाये लोग जो समाज के हित मे दिन रात काम करते रहते है जो पेट भरने के लिये किसानी का काम करते है , सैनिक , सीपाही है जो देश की रक्षा करते है उनको सन्मान देना चाहिये , उनका धन्यवाद और आभार व्यक्त करना चाहिये ये न कर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी उनको उलटे वर्ण जाती वेवस्था मे निच , शुद्र , अस्पृष्य मानते है इसका यहा अफसोस दुख व्यक्त करते है और अपने मुलभारतिय समाज मे समता भाईचारा वेवस्था की याद दिलाते है ! 

धर्मविकमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 16 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 2

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 2

कहरा : 2 : 2

अटपट कुम्हरा करै कुमरैया , चमरा गाँव न बाँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

अटपट = मिट्टी को रोंद कर , पटक पटक कर एक और मुलायम करना ! कुम्हरा = कुम्हहार ! करै = करना ! कुमरैया = मिट्टी से घडे , बर्तन बनाना ! चमरा = मोची , चमडे का काम करने वाला चमार ! गाँव न बाँचे हो = गाँव का काम ना चले ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणनोने मुलभारतिय हिन्दू धर्मी विविध वेवसाय के कारागीरो को जाती वेवस्था मे बन्दिस्त कर उन्हे शुद्र , अस्पृष्य , निच बताया और छुवाछुत भेदभाव ऊचनीच , गैरबराबर कर शोषण वाले समाज वेवस्था को जन्म दिया ! वेद का वर्णवाद और मनु का जातीवाद ने मुलभारतिय समतावादी समाज बर्बाद कर दिया ! 

कुम्हार और मोची का काम वेवसाय के बैगर क्या कोई देश गाँव कसबा काम कर सकता है और खुशहाल हो सकता है ? पुछते है धर्मात्मा कबीर ! ब्राह्मण न हो तब भी देश और समाज का काम चल सकता है पर कारागीर के शिवाय समाज चलना ना मुमकीन है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Saturday, 12 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 29

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 ; 29

कहरा : 1 : 29

जेहि रंग दुलहा ब्याहत आये , दुलहिनि तेहि रंग राँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

जेहि = जो ! रंग = तरिका , रंग ढंग ! दुलहा = चेतन राम , जीव ! ब्यहत = लगन संबंध ! दुलहिनि = प्रकृती , शृष्टी , शरीर ! राँचे = पसंद ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे जीव और प्रकृती की संगत को बताते हुवे कहते चेतन राम अर्थत जीव या आत्मा जैसे इच्छा करता है प्रकृती यानी शरीर उसी प्रकार खुद को ढ़ाल लेती है ! जीव आत्मा और प्रकृती का यह संबंध माया मोह इच्छा तृष्णा अहंकार आदी से भरा होता है जब तक जीव इनको त्याग कर बेदाग जीवान को अपनाकर इस शृष्टी मे आपनी शुद्धाता को नही प्राप्त होता माया वश जीव बार बार भिन्न भिन्न चाहत के शारीर धारण कर जीना पडता है ! एसे माया मोह ग्रस्त जीव को चेतन राम के दर्शन कैसे हो सकते है ! चेतन राम को पाना है तो निर्वांण का रास्ता शिल सदाचार का रास्ता अपनाना होगा वही कबीर साहेब ने पुनरस्थापित मुलभारतिय हिन्दूधर्म है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Kali Yug Thag Yug !

#कली_यूग_ठग_यूग ! 

कली यूग है ठग यूग है  
सब लूटने ठगने बैठे है 
ओठो पर कुछ होता है 
मनमे और कुछ होता है ! 

कहते है हिन्दू राष्ट्र होगा 
ब्राह्मण राष्ट्र बन आता है 
वही पुरानी सोमरस दारू  
फेकु फिर ले आता है !

नाम बदला ठग शाह बना
भागवतने भागवत कथा सुनाई 
वेद जाती मनुस्मृती ठिक बताई 
समता हटाकर समरस्ता लाई !   

ठगो की दुनिया है ये भाई  
बडे बडे झूठे यहा राजा मंत्री 
ये मेरा है वो मेरा है दिखावा 
करता है देश का प्रधानमंत्री !  

कोस कोस पर भाषा बदले 
तास तास पर बदले कपडे 
रोज हजार झूठ ये बोले 
जग जाहीर है इनके लफाडे !  

#दौलतराम

Friday, 11 April 2025

Bharosa !

#भरोसा ! 

भरोसा उठ गया क्यू 
देश पुरा लूट गया क्यू 
न वो थाना रहा भरोसे का 
न थानेदार सिपाही भरोसे का ! 

न ऑफिस का अफसर 
न भरोसे का वहा चपरासी 
रिश्वतखोरी बढ़ गई क्यू 
ईमादारी घट गई क्यू !

न मंत्री पर भरोसा 
न न्यायाधिष भरोसे का 
न व्होट मशीन भरोसे की 
न मंत्री मंडल भरोसे का ! 

भरोसे से भरोसा उठ गया 
अब कही सिमट गया भरोसा 
न राष्ट्रपती न उप राष्ट्रपती बचे 
देखा तेल लेने गया भरोसा !

छुटते देखा संविधान पर भरोसा
लूटते देखा सीमा पर भरोसा 
प्रचार माध्यम ने बेचा भरोसा  
चन्द पैसे से खरीदा भरोसा ! 

भरोसा राम पर किया 
भरोसा 15 लाख पर किया 
भरोसा हिन्दू राष्ट्र पर किया 
उसने ब्राह्मण राज थमा दिया ! 

#दौलतराम

Friday, 4 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 21

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 21

कहरा : 1 : 21

उथले रहहु परहु जनि गहिरे , मति हाथहु की खोबहु हो ! 

शब्द अर्थ : 

उथले = अपरिपक्व ! रहहु = रहना ! परहु = परंतु ! जनि = संसार मे ! गहीरे = धीर गंभीर ! मति = बुद्धी ! हाथहु = अपनी ! खोबहु = खो देना ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे परीपक्वाता और अपरीपक्वाता की बात करते हुवे कहते है मनुष्य धीरगंभीरता से न केवल सोचना चाहिये , बात भी समझदारी से करना चाहिये ! उथले लोग कुछ भी बोल देते है और ओछी हरकत करते है और खुद की हसी कर लेते है ! इससे मतिहीनता झलकती है ! 

कबीर साहेब यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म को बुद्धीहीनो का धर्म मानते है अधर्म और विकृती मानते है ऐसा धर्म मानने वाले मूर्ख ही होंगे ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 2 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 19

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 19

कहरा : 1 : 19

जेकर हाथ पाँव कछु नाहीं , धरन लागि तेहि सोहरि हो ! 

शब्द अर्थ : 

जेकर = ज़िसकी ! हाथ पाँव = अस्तित्व ! कछु = कुछ ! नाहीं = न होना ! धरन = मान्य करना ! सोहरि = संगत ! 

प्रग्या बोध :

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे संगत असंगत की बात करते हुवे कहते है भाईयों ज़िस की संगत तुम कर रहे हो ज़िस को तुम तुम्हारा दोस्त मान रहे हो वो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म और उसके पांडे पंडित पूजारी आपके दोस्त नही शत्रू है कोई भी बात उसमे नही है जो आपका कल्याण करता हो ! वैदिक ब्राह्मण धर्म ये धर्म नही अधर्म है , संस्कृती नही विकृती है ! वो धर्म ज़िसमे जाती वर्ण ऊचनीच भेदभाव विषमाता अस्पृष्यता छुवाछुत जैसे अमानविय विचार हो ज़िसका कोई हाथ पैर नही वो असभ्य विचार ब्राह्मण धर्म छोडो और आपने मुलभारतिय हिन्दूधर्म के समतावादी धर्म का पालन करो इसी मे तुम्हारी भलाई है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Waghya Dog or Waghmaare Mahar ?

#सरकार_राखनदार ! 

कुत्रे भूँकणारे 
कुत्रे चावणारे 
कुत्रे रक्षणारे 
कुत्रे शिकारी 
कुत्रे भिकारी 
कुत्रे मिंधे 
लाचारी धन्दे 
लाड घोटे 
बूट चाटे !

बहु ढंगी 
बहु रंगी 
मोठे छोटे 
देशी विदेशी 
बुल डॉग 
हिज मास्टर्स  
वफादार व्हाईस 
कुठे मोती 
कुठे वाघ्या 
कुठं सोन्या  
कुठं मोन्या !

कधी हत्ती पाठी
कधी गधा लाथी 
कधी ऊकिरडा घर 
अन्ना साठी  
वणवण फिर 
कधी दगड धोंडे 
कधी काठी मार 
हाकलतात फार !

कुत्र शिवे  
तुपची वाटी  
एकनाथ धावे 
त्याचे पाठी
पांडव हिमालया   
धर्मराज कुत्रा 
पाठलाग कराया 
कुत्रा एक नशिबवान 
रायगडी समाधी  
सरकार राखनदार !  

कुत्रा नसे वाघ्या 
वाघमारे महार 
शिवबाचा शुरविर 
अंगरक्षक पाठीराखा 
जसा गोविन्द महार
छावा चा ईमानदार !

ध चा मा हे करी  
वाघमारे महार परि  
कुत्रा वाघ्या बरी 
नको महार मोठेपण 
कुत्रा त्या हुन 
मोठे जान म्हणे ब्राह्मण ! 

#दौलतराम