Thursday, 17 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 3

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 :3

कहरा : 2 : 3

नित उठि कोरिया पेट भरतु है , छिपिया आँगन नाँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

नित उठि = रोज सबेरे उठकर ! कोरिया = कोरी , किसान ! पेट भरतु = पेट के लिये , खाने के लिये अनाज पैदा करना ! छिपिया = घर काम करने वाले, पाणी भरने वाले ! नाँचे हो ! लाना ले जाना ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे किसान , कुर्मी , कोरी , छिपिया आदी वेवसाये लोग जो समाज के हित मे दिन रात काम करते रहते है जो पेट भरने के लिये किसानी का काम करते है , सैनिक , सीपाही है जो देश की रक्षा करते है उनको सन्मान देना चाहिये , उनका धन्यवाद और आभार व्यक्त करना चाहिये ये न कर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी उनको उलटे वर्ण जाती वेवस्था मे निच , शुद्र , अस्पृष्य मानते है इसका यहा अफसोस दुख व्यक्त करते है और अपने मुलभारतिय समाज मे समता भाईचारा वेवस्था की याद दिलाते है ! 

धर्मविकमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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