कहरा : 2 : 9
गाइन माँहि बसेउ नहिं कबहुँ , कैसेक पद पहिचनेबेउ हो !
शब्द अर्थ :
गाइन = गाना , बाजना ! माहिं = कार्य ! बसेउ = बैठने ! नहिं = ना हिस्सा लेना ! कैसेक = किस प्रकार ! पद = गाना उसका राग अर्थ आदी ! पहिचनेबेउ = पहचान करोगे !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर कहरा के इस पद के माध्यम से बताना चाहते है की स्वअनुभूती , स्वाध्याय की जरूरत हर जगह होती है और ज़हाँ परमार्थ , धर्म की बात हो , मुक्ती निर्वांण की बात हो वहाँ बिना साधु संगत किये बिना और विचार सुने बिना कोई सदमार्ग पर कैसे चल सकता है ! बचपन मे माता पिता रिस्तेदार गुरू होते है पर बडे होने पर खुद अच्छा बुरा का निर्णाय करना होता है इस लिये गुरू की संगत धार्मिक सत संगत मे जावो सुनो और उस मे सार असार क्या है खुद पहचानो !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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