Sunday, 7 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Beli : 1 : 5

पवित्र बीजक :  प्रग्या बोध  : बेलि  : 1 : 5

बेलि  : 1 : 5

आजु  बसेरा  नियरे , हो  रमैया राम ! 

शब्द  अर्थ  : 

आजु  = अब  ! बसेरा  = रहना  !  नियारे  = नितांत  ! हो  रमैया  राम  = हे  राम  प्रियजन  साधु  संतो  ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा  कबीर  बेलि  के  इस  पद  में  कहते  है  भाईयों  जो  लोग  निरंतर  , नितांत ,   हमेशा  चेतन तत्व  निराकार  निर्गुन  राम  के  पास  या  साथ  रहते  है  उनका  मन  इधर  उधर  माया  मोह  में  भटकता  नही  वे  सदपुरूष  साधु  संत  भाग्यशाली  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती  
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Saturday, 6 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Beli : 1 : 4

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बेलि  : 1 : 4

बेलि  : 1 : 4

सोवत  गैल  बिगोय , हो  रमैया  राम  ! 

शब्द  अर्थ  :

सोवत  = सोते  हुवे , निन्द  में  ! गैल  = गया  ! व्यतित  हुवा  !  बिगोय = बिगाड  दिया , खर्च किया ! हो रमैया राम = हे  राममय  संत  साधु  ! 

प्रग्या  बोध ! 

परमात्मा  कबीर  बेलि  के  इस  पद  में  बतते  है  भाईयों  केवल  निन्द  और  निन्द  मे  दिखे  सपने  में  खुश  ना  हो  !  जागो ! निन्द  में  दिखे  स्वर्ग  और  अन्य  सुख  वास्तविक  नही !  केवल  एसे  निन्द  से  खुश  होने  से  काम  नही  चलेगा !  जीवान  केवल  निन्द  मे  खर्च  करने  के  लिये  नही  मिला  है , आलस  छोडो  और  जीवन  का  उद्देश  समजो  जो  मोक्ष ,  निर्वांण , चेतन राम  के  दर्शन  है  और  वह  पुरूषार्थ  में  है  , नही  की  आलसी  निन्द  और सोते  हुवे  सपनो  में  !  राम  प्रेमियो  जागो  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ प्रतिष्ठान 
कल्याण, अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Friday, 5 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Beli :1 : 3

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : बेलि  : 1 : 3

बेलि  : 1 : 3

जो  जागल  सो  भागल , हो  रमैया  राम  ! 

शब्द  अर्थ  : 

जागल  = जागृत  ! भागल  = दौडे  गा  आगे  जायेगा  ! हो  रमैया  राम  = राममय  साधु  संत  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बेलि  के  इस  पद  में  कहते  है भाईयों  वही  साधु  संत  संसारी  पुरूष  आगे  जयेगा और  परमात्मा  चेतन   राम  के  प्रथम  दर्शन  करेगा जो  जागृत  रह  कर  धर्म  मार्ग  से  जीवन   यापन  करेगा ! जो  गलत  रास्ते  पर  आँख  मुन्द कर  चलेगा  जैसा  की  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  का  विकृत  मार्ग  है  वह  निच्छित  ही  जीवान  चक्र  में  भटकता  रहेगा  !  बार  बार  नर्क  के  दुख  भोगेगा  !  क्यू  की  अधर्म  का  रास्ता  सिधे  नर्क  की  तरफ  ही  जाता  है  ! वैदिक  ब्राह्मणधर्म   नर्क का  द्वार  है  !  तो  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  स्वर्ग  और  कल्याण  निर्वांण  सुख  का  द्वार  है ,  मार्ग  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण,  अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Thursday, 4 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Beli : 1 : 2

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बेलि : 1 : 2

बेलि : 1 : 2

जागत चोर घर मूसहिं , हो रमैया राम ! 

शब्द अर्थ : 

जागत = जागते रहो , जागृत रहो ! चोर = लूटने वाला ! घर = गृह , मकान , शरीर ! हो रमैया राम = राममय साधु ,भक्त , धार्मिक व्यक्ती ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर बेलि के इस पद में बताते है भाईयों गाफिल मत रहो ! यह जीवान जागृती के लिये है ! लक्ष को पाने के लिये है ! माया मोह इच्छा वासना तृष्णा अहंकार हमेशा घात लगाये बैठे रहते है , कब नजर हटी की वो अन्दर होते है और जीवन से धर्म को हटाकर अधर्म विकृती का अधिकार लाते है ! 

जीस प्रकार से चुहे , मुस घर के दिवालो मे छेद कर मकान कमजोर करते है वैसे अधर्म माया मोह अहंकार मन में भटकाव पैदा कर विचलित करते है सावधान रहो वैदिक ब्राह्मणधर्म के चुहोंसे सावधान रहो अपने मुलभारतिय हिन्दूधर्म का जागृती से पालन करो ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण, अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Daulat Purnima : Margshirsh Purnima 4 December, 2025

#दौलत_पूर्णीमा  :  #मार्गषिर्श_पूर्णीमा ! 

#दौलत_पूर्णीमा  मार्गशीर्श  पूर्णीमा  इस  साल  4 दिसम्बर ,  2025 को  आ  रही  है  !  यह  समृद्धी  , धनधान्य , दौलत अर्थात  शृष्टी  की पूर्णीमा  है  ! 

इस  #दौलत_पूर्णीमा  पर  उपवास  का  विशेष महत्व  है  , गुरू  पुजन और  धर्म  दान  से  इस  अवसर  विशेष  है और  पुन्य  का  काम  माना  जाता  है  ! 

नये  व्यवसाय  , गृह  प्रवेश  आदी  उत्तम  होते  है  और  #आनन्द_चौका_पूजा  , #बीजक_पाठ  का  आयोजन  कर  घर  प्रसन्न  ता  से  भर  उठता  है  ! 

उपवास उपरांत  मिष्ठान्न  और  #नरियाल_फल  का  प्रसाद  बाटना  ऊचित  होता  है  !

#जय_गुरूदेव_कबीर  ! 

#दौलतराम

Wednesday, 3 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Beli : 1 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बेलि  : 1 : 1

बेलि  : 1 : 1

हंसा  सरवर  शरीर  में  , हो  रमैया  राम  ! 

शब्द  अर्थ  : 

हंसा  = चेतन तत्व  राम  ! सरवर  =  विश्व  , जग  , शृष्टी  ! शरीर  = मानव  शारीर  ! हो  रमैया राम  = हे  जगत  चालक  मालक राम  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा कबीर  बेलि  के  इस  पद  में  बताते  है की हंस  स्वरूप  निराकार  निर्गुण  अमर  अजर सर्वव्यापी  सार्वभौम चालक  मालक  केवल  एक  है  और  वो  है  चेतन  तत्व राम ! वो  सब  में  है  और हम  सब उसमे  है  पर  तब  भी  वो  हम  सब  से  अलग  , शृष्टी  से  बाहर  निराकार  निर्गुण  अवस्था  निर्वाण  या  मोक्ष  स्थित  है  और  सदा सत्य  न्यायी  है  ! मानव  शरीर  बडा  दूर्लभ  है  और  इसी  मानव  जीवन  मे  धर्म  का  प्रग्या  बोध मानव  को  सकता  है  और  उसका  धर्म  मार्ग  शिल  सदाचार  का  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  है  जो  कबीर  साहेब  उनकी  पवित्र  वाणी  बीजक  मे  हमे  बताते  है  !  कबीर  साहेब  कहते  है  भाईयों  अधर्म  अग्यान  छोडो  उस  परमतत्व  चेतान  राम  के  दर्शन के  कार्य  में  लग  जावो  वही  मानव  का  अंतिम  पडाव  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण,  अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Tuesday, 2 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 28

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर  : 2 : 28 

चाचर  : 2 : 28

तुम  छाड़हु  हरि  की  सेव  , समुझि  मन  बौरा  हो  !

शब्द  अर्थ  : 

तुम  = हे  मानव  ! छाड़हु  = छोड  दिया  ! हरि  = परमात्मा  चेतन  राम !  की  = उसकी  ! सेव  = संगत  ,साथ  , छाव  ! मन  बौरा  हो  = मन  पगला गया  है  , भटक रहा  है  ! 

प्रग्या  बोध ; 

परमात्मा कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है भाईयों  तुम  अगर  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  शिल  सदाचार भाईचारा  समता  ममता  विश्वबंधुत्व एकेश्वर तत्व  विचार  का  पाला नही  करते हो ,  न  निर्गुन  निराकार  चेतन  तत्व  अहंकार  माया  मोह  तृष्णा  हरने  वाले  परम  न्यायी  और  दयालू चेतन  राम  को  मानते  हो  तो  समझो  तुम  गलत संगत मे  हो !  तुम्हारा मन  भटक  गया  है !   तुम्हारे  मन  पर  माया  मोह  तृष्णा  वासना  का  कब्जा  हो  गया  है !   तुम  अधर्म  को  धर्म  मान बैठे  हो !   विकृती  को  संस्कृती  मान बैठे  हो  और  स्पस्ट  है  तुम  अधर्मी कुधर्मी   विदेशी  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  के  चंगुल  मे  फस  गये हो  !  भाईयों  उस से  बाहर  निकालो  अपने  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  के  सुसंगत  मे  आवो  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म विश्वपीठ  , 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Monday, 1 December 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 27

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2 : 27

चाचर : 2 : 27

कहहिं कबीर जग भर्मिया , मन बौरा हो ! 

शब्द अर्थ : 

कहहिं कबीर = कबीर कहते है ! जग भर्मिया = जग को भ्रम मानने वाले ! मन बौरा हो = मन पगलाया है ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में कहते है भाईयों कुछ लोग इस संसार को , जग को , शृष्टी को असत्य और भ्रम , कल्पना कहते है पर यह शृष्टी वास्तविक है ! सत्य है ! कोई भ्रम या कल्पना नही ! राम सत्य है और राम -:मय यह शृष्टी भी सत्य है ! यह सत्य है की एक राम राजा हुवे जो मौर्य कुल नाग वंशी थे , दुसरे राम हम सब में है , तिसरे राम यह शृष्टी जग है ज़िसमे हम सब है और चवथे राम इन सब से परे ज़हाँ कबीर स्थित है ! उस स्थान की अवस्था वही समज सकता है जो शिल सदाचार का मुलभारतिय हिन्दूधर्म का समग्र पालन करता है ! वह अवस्था मोक्ष की अवस्था विशुद्ध चेतन राम की अवस्था है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दुधर्म विश्वपीठ , 
कल्याण अखण्ड हिन्दुस्तान शिवशृष्टी

Sunday, 30 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 26

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2  : 26

चाचर  : 2 : 26

तुम  टेकेउ  राम  जहाज , समुझि  मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

तुम   = हे  मानव  !  टेकेउ  = टिका  ,तिरस्कार  करना  ! राम  जहाज  = राम  नाम  की  नौका , जहाज  , जीवन चेतना  ! मन  बौरा   हो  = मन  पगला  गया  है  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर चाचर  के  इस  पद  में  बताते  है भाईयों  निराकार  निर्गुण  अजर  अमर सार्वभौम सदा न्यायी  , समता  और  सुखदाई  कल्याणकारी संसार  के  चालक  मालक  चेतन  तत्व  राम  की  दया  से  ही  हम  यह  शरीर   रूपी  नाव  धारण  किये  है  !  चलानेवाला  वही  चेतन  राम  है  ! पर  हम  मै  मै  बोल  कर  माया  मोह  अहंकार  के  कारण  खुद  को  ही  मालक  चालक  समजाते  है !  जहाँ  तक  हम  धर्म  का  पालन करते  तब  तक  तो  ठिक  है  , राम  ही  धर्म  है  ! पर  हम  राम  छोडते  है  अधर्म  पकडते  है  तब  जीवन  मुसीबतो  से  भर  जाता  है  !  तुम  राम  पर  ही  टिका  करने  लगते  हो  और  वो  नही  है  निर्दई  है  कहने  लगते  हो ! 

भाईयों  धर्म  तो  सत्य  है  ,  न्यायी  है  कल्याणकारी है  ,  जो  शिल  सदाचार  भाईचारा  समता  ममता चाहता है  !  तुम  इसके  विपरित  दुसरे  को  हीन अस्पृष्य  निच  कहोगे  गरीबोका  शोषण  करोगे  तो  एसे  अधमी  के  साथ  भला  राम  कहा संतुस्ट  होगा  ! यह  पागलपन  छोडो  ! राम  को  पहचानो  राम  राज्य  को  पहचानो  !  उसको  छोडोंगे  तो  जीवन नर्क   है  व्यर्थ  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती  
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण,  अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

Saturday, 29 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 25

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर 2 : 25

चाचर  : 2 : 25

बिनु पानी  नर  बूड़हीं , मन  बौरा  हो  !  

शब्द  अर्थ  : 

बिनु पानी   =  पानी के  शिवाय ,   जाहाँ  पानी  भी  नही  ! ! नर  = मानव  ! बूड़हीं  = डुबना  , मरना ! 
मन  बौरा  हो  = पगला  गया  है  ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है भाईयों  लोग  केवल  पानी  मे  ड़ूब  कर  ही  नही  मरते  एसे  अनेक  प्रकार  है  ज़िससे  आत्म  हत्या  करते  है  जैसे  अधर्म  का  पलान  कर  पाप  के  खाई  में  गीर  जाना  ! माया  मोह इच्छा तृष्णा वासना कामना लालच अहंकार  आदी  अनेक  प्रकार  है  ज़हाँ  मानव  डूबता  है  दारू  जुवा  नशा  वेश्या  चौरी  झूठ  एसे  कितने  ही  दूर्गुण  है  ज़हाँ  अग्यानी मानव  डूबता   है  और  अपना  अनमोल  मानव  जीवान  बर्बाद  कर  देता  है  , यह  भी  मूर्खता  है  पागलपन  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान ,  शिवशृष्टी

Thursday, 27 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 23

पवित्र बीजक :  प्रग्या बोध :  चाचर : 2 : 23

चाचर  : 2 : 23

नहाने  को  तीरथ  घना , मन  बौरा  हो  !

शब्द  अर्थ  : 

नहाने  = शुद्धी करण  ! तीरथ = धार्मिक  तिर्थ  स्थान  जैसे  प्रयाग  , हरिद्वार आदी  !  घना = बहुत  ! मन  बौरा  हो  = मन  मे  अशंती ,  डर ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते है  जो लोग  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक ब्राह्मणधर्म के  चंगुल  में  फसे  हुवे  है  उनसे  कोई  पुन्य  का  काम , धर्म  का  काम  होता  नही  वो  ऊलटे  पाप  कर्म  , अधर्म  झूठ  मक्कारी  आदी  मन  को  पीडा  देने  वाले  कार्य  में  फसे  हुवे  होने  के कारण  व्यथित  होते  है  उनहे  मन  में  डर  होता  है  बहुत  पाप  हुवे  और  नर्क  मे  जायेंगे  या  आज  नही  तो  काल  पाप  कर्म  का  फल  भूगतना  पडेगा  इस  लिये  ऐसे डरे  व्यथित लोग  मन  गढंत  तिर्थ , गंगा नहना   आदी  में  उल्जे  हुवे  है  और  एक  तिरथ  से  दुसरे  तिरथ  और  अनेक  प्रकार  के  सोंग  धतुरे  मे  फसे  हुवे  है  ! कबीर  साहेब  ने  एसे  डरे  हुवे  लोगोंको  बताया  है  भाईयों  विदेशी  ब्राह्मण  पांडे  पूजारी  के  चक्कर  में  ना  पडो  वो  तुम्हे  सद धर्म  सदाचार का  मार्ग  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  कभी  नही  बातायेंगे  , इस  मुलभारतिय  हिन्दुधर्म  का  पालन  करोगे  तो  ना  अधर्म  होगा  ना  पाप  शुद्धी  की  चिंतां  सतायेगी  न  तिरथ  तिरथ  घुमाना  पडेगा  ! 

मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  मार्ग  ही  सच्चे  मुक्ती  का  और  मानव  जीवन कल्यान  का  मार्ग  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Saturday, 26 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 12

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 12

कहरा : 2 : 12 

जतइत के धन हेरिन ललचिन , कोदइत के मन दौरा हो ! 

शब्द अर्थ : 

जतइत = नजदिक ! धन = पैसा , धन संपत्ती ! हेरिन = नजर ! ललचिन = लालच ! कोदइत = खुद ! मन = इच्छा ! दौरा = दुर , दुसरा ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे लोगोके मन मे क्या चलता रहता है इस की चर्चा करते हुवे कहते है लोगोंकी नजर पडोसी के धन संपत्ती पर लगी रहती है ! लालची लोग सोचते है काश पडोसी की संपत्ती उसकी हो जाये पर लोग ये नही सोचते पडोसी भी एसा ही सोचता होगा !  

लोगोंको लगाता है उनकी धन संपत्ती की कभी चौरी न हो , उनके पास ही सुरक्षित बनी रहे पर दुसरे की धन संपत्ती की चौरी हो जाय , क्षय हो ! ये मानसिकता गलत है अकुशल है , सब के मंगल कल्याण की नही ऐस लिये विकार भरी अधार्मिक है ! एसे विचार को त्याग देना ही धर्म है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 23 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 9

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 9

कहरा : 2 : 9

गाइन माँहि बसेउ नहिं कबहुँ , कैसेक पद पहिचनेबेउ हो ! 

शब्द अर्थ : 

गाइन = गाना , बाजना ! माहिं = कार्य ! बसेउ = बैठने ! नहिं = ना हिस्सा लेना ! कैसेक = किस प्रकार ! पद = गाना उसका राग अर्थ आदी ! पहिचनेबेउ = पहचान करोगे ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद के माध्यम से बताना चाहते है की स्वअनुभूती , स्वाध्याय की जरूरत हर जगह होती है और ज़हाँ परमार्थ , धर्म की बात हो , मुक्ती निर्वांण की बात हो वहाँ बिना साधु संगत किये बिना और विचार सुने बिना कोई सदमार्ग पर कैसे चल सकता है ! बचपन मे माता पिता रिस्तेदार गुरू होते है पर बडे होने पर खुद अच्छा बुरा का निर्णाय करना होता है इस लिये गुरू की संगत धार्मिक सत संगत मे जावो सुनो और उस मे सार असार क्या है खुद पहचानो ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Thursday, 17 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 3

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 :3

कहरा : 2 : 3

नित उठि कोरिया पेट भरतु है , छिपिया आँगन नाँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

नित उठि = रोज सबेरे उठकर ! कोरिया = कोरी , किसान ! पेट भरतु = पेट के लिये , खाने के लिये अनाज पैदा करना ! छिपिया = घर काम करने वाले, पाणी भरने वाले ! नाँचे हो ! लाना ले जाना ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे किसान , कुर्मी , कोरी , छिपिया आदी वेवसाये लोग जो समाज के हित मे दिन रात काम करते रहते है जो पेट भरने के लिये किसानी का काम करते है , सैनिक , सीपाही है जो देश की रक्षा करते है उनको सन्मान देना चाहिये , उनका धन्यवाद और आभार व्यक्त करना चाहिये ये न कर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी उनको उलटे वर्ण जाती वेवस्था मे निच , शुद्र , अस्पृष्य मानते है इसका यहा अफसोस दुख व्यक्त करते है और अपने मुलभारतिय समाज मे समता भाईचारा वेवस्था की याद दिलाते है ! 

धर्मविकमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 16 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 2 : 2

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 2 : 2

कहरा : 2 : 2

अटपट कुम्हरा करै कुमरैया , चमरा गाँव न बाँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

अटपट = मिट्टी को रोंद कर , पटक पटक कर एक और मुलायम करना ! कुम्हरा = कुम्हहार ! करै = करना ! कुमरैया = मिट्टी से घडे , बर्तन बनाना ! चमरा = मोची , चमडे का काम करने वाला चमार ! गाँव न बाँचे हो = गाँव का काम ना चले ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणनोने मुलभारतिय हिन्दू धर्मी विविध वेवसाय के कारागीरो को जाती वेवस्था मे बन्दिस्त कर उन्हे शुद्र , अस्पृष्य , निच बताया और छुवाछुत भेदभाव ऊचनीच , गैरबराबर कर शोषण वाले समाज वेवस्था को जन्म दिया ! वेद का वर्णवाद और मनु का जातीवाद ने मुलभारतिय समतावादी समाज बर्बाद कर दिया ! 

कुम्हार और मोची का काम वेवसाय के बैगर क्या कोई देश गाँव कसबा काम कर सकता है और खुशहाल हो सकता है ? पुछते है धर्मात्मा कबीर ! ब्राह्मण न हो तब भी देश और समाज का काम चल सकता है पर कारागीर के शिवाय समाज चलना ना मुमकीन है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Saturday, 12 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 29

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 ; 29

कहरा : 1 : 29

जेहि रंग दुलहा ब्याहत आये , दुलहिनि तेहि रंग राँचे हो ! 

शब्द अर्थ : 

जेहि = जो ! रंग = तरिका , रंग ढंग ! दुलहा = चेतन राम , जीव ! ब्यहत = लगन संबंध ! दुलहिनि = प्रकृती , शृष्टी , शरीर ! राँचे = पसंद ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे जीव और प्रकृती की संगत को बताते हुवे कहते चेतन राम अर्थत जीव या आत्मा जैसे इच्छा करता है प्रकृती यानी शरीर उसी प्रकार खुद को ढ़ाल लेती है ! जीव आत्मा और प्रकृती का यह संबंध माया मोह इच्छा तृष्णा अहंकार आदी से भरा होता है जब तक जीव इनको त्याग कर बेदाग जीवान को अपनाकर इस शृष्टी मे आपनी शुद्धाता को नही प्राप्त होता माया वश जीव बार बार भिन्न भिन्न चाहत के शारीर धारण कर जीना पडता है ! एसे माया मोह ग्रस्त जीव को चेतन राम के दर्शन कैसे हो सकते है ! चेतन राम को पाना है तो निर्वांण का रास्ता शिल सदाचार का रास्ता अपनाना होगा वही कबीर साहेब ने पुनरस्थापित मुलभारतिय हिन्दूधर्म है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Kali Yug Thag Yug !

#कली_यूग_ठग_यूग ! 

कली यूग है ठग यूग है  
सब लूटने ठगने बैठे है 
ओठो पर कुछ होता है 
मनमे और कुछ होता है ! 

कहते है हिन्दू राष्ट्र होगा 
ब्राह्मण राष्ट्र बन आता है 
वही पुरानी सोमरस दारू  
फेकु फिर ले आता है !

नाम बदला ठग शाह बना
भागवतने भागवत कथा सुनाई 
वेद जाती मनुस्मृती ठिक बताई 
समता हटाकर समरस्ता लाई !   

ठगो की दुनिया है ये भाई  
बडे बडे झूठे यहा राजा मंत्री 
ये मेरा है वो मेरा है दिखावा 
करता है देश का प्रधानमंत्री !  

कोस कोस पर भाषा बदले 
तास तास पर बदले कपडे 
रोज हजार झूठ ये बोले 
जग जाहीर है इनके लफाडे !  

#दौलतराम

Friday, 11 April 2025

Bharosa !

#भरोसा ! 

भरोसा उठ गया क्यू 
देश पुरा लूट गया क्यू 
न वो थाना रहा भरोसे का 
न थानेदार सिपाही भरोसे का ! 

न ऑफिस का अफसर 
न भरोसे का वहा चपरासी 
रिश्वतखोरी बढ़ गई क्यू 
ईमादारी घट गई क्यू !

न मंत्री पर भरोसा 
न न्यायाधिष भरोसे का 
न व्होट मशीन भरोसे की 
न मंत्री मंडल भरोसे का ! 

भरोसे से भरोसा उठ गया 
अब कही सिमट गया भरोसा 
न राष्ट्रपती न उप राष्ट्रपती बचे 
देखा तेल लेने गया भरोसा !

छुटते देखा संविधान पर भरोसा
लूटते देखा सीमा पर भरोसा 
प्रचार माध्यम ने बेचा भरोसा  
चन्द पैसे से खरीदा भरोसा ! 

भरोसा राम पर किया 
भरोसा 15 लाख पर किया 
भरोसा हिन्दू राष्ट्र पर किया 
उसने ब्राह्मण राज थमा दिया ! 

#दौलतराम

Friday, 4 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 21

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 21

कहरा : 1 : 21

उथले रहहु परहु जनि गहिरे , मति हाथहु की खोबहु हो ! 

शब्द अर्थ : 

उथले = अपरिपक्व ! रहहु = रहना ! परहु = परंतु ! जनि = संसार मे ! गहीरे = धीर गंभीर ! मति = बुद्धी ! हाथहु = अपनी ! खोबहु = खो देना ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे परीपक्वाता और अपरीपक्वाता की बात करते हुवे कहते है मनुष्य धीरगंभीरता से न केवल सोचना चाहिये , बात भी समझदारी से करना चाहिये ! उथले लोग कुछ भी बोल देते है और ओछी हरकत करते है और खुद की हसी कर लेते है ! इससे मतिहीनता झलकती है ! 

कबीर साहेब यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म को बुद्धीहीनो का धर्म मानते है अधर्म और विकृती मानते है ऐसा धर्म मानने वाले मूर्ख ही होंगे ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Wednesday, 2 April 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 19

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 19

कहरा : 1 : 19

जेकर हाथ पाँव कछु नाहीं , धरन लागि तेहि सोहरि हो ! 

शब्द अर्थ : 

जेकर = ज़िसकी ! हाथ पाँव = अस्तित्व ! कछु = कुछ ! नाहीं = न होना ! धरन = मान्य करना ! सोहरि = संगत ! 

प्रग्या बोध :

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे संगत असंगत की बात करते हुवे कहते है भाईयों ज़िस की संगत तुम कर रहे हो ज़िस को तुम तुम्हारा दोस्त मान रहे हो वो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म और उसके पांडे पंडित पूजारी आपके दोस्त नही शत्रू है कोई भी बात उसमे नही है जो आपका कल्याण करता हो ! वैदिक ब्राह्मण धर्म ये धर्म नही अधर्म है , संस्कृती नही विकृती है ! वो धर्म ज़िसमे जाती वर्ण ऊचनीच भेदभाव विषमाता अस्पृष्यता छुवाछुत जैसे अमानविय विचार हो ज़िसका कोई हाथ पैर नही वो असभ्य विचार ब्राह्मण धर्म छोडो और आपने मुलभारतिय हिन्दूधर्म के समतावादी धर्म का पालन करो इसी मे तुम्हारी भलाई है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Waghya Dog or Waghmaare Mahar ?

#सरकार_राखनदार ! 

कुत्रे भूँकणारे 
कुत्रे चावणारे 
कुत्रे रक्षणारे 
कुत्रे शिकारी 
कुत्रे भिकारी 
कुत्रे मिंधे 
लाचारी धन्दे 
लाड घोटे 
बूट चाटे !

बहु ढंगी 
बहु रंगी 
मोठे छोटे 
देशी विदेशी 
बुल डॉग 
हिज मास्टर्स  
वफादार व्हाईस 
कुठे मोती 
कुठे वाघ्या 
कुठं सोन्या  
कुठं मोन्या !

कधी हत्ती पाठी
कधी गधा लाथी 
कधी ऊकिरडा घर 
अन्ना साठी  
वणवण फिर 
कधी दगड धोंडे 
कधी काठी मार 
हाकलतात फार !

कुत्र शिवे  
तुपची वाटी  
एकनाथ धावे 
त्याचे पाठी
पांडव हिमालया   
धर्मराज कुत्रा 
पाठलाग कराया 
कुत्रा एक नशिबवान 
रायगडी समाधी  
सरकार राखनदार !  

कुत्रा नसे वाघ्या 
वाघमारे महार 
शिवबाचा शुरविर 
अंगरक्षक पाठीराखा 
जसा गोविन्द महार
छावा चा ईमानदार !

ध चा मा हे करी  
वाघमारे महार परि  
कुत्रा वाघ्या बरी 
नको महार मोठेपण 
कुत्रा त्या हुन 
मोठे जान म्हणे ब्राह्मण ! 

#दौलतराम

Monday, 31 March 2025

Shiv Sena !

#शिव__सेना ! 

आया चोर ले भागा 
लूटेरा ले गया लूट 
हाथ मल के रह गये 
कहे हम बहादुर झूठ ! 

या तो रपट लिखावो 
ठाने के चक्कर काटो 
या खुद ढूंडो उसको 
अच्छा सबक सिखावो ! 

या फिर मावले जुटावो 
शिव सेना फिर बनावो 
लूट ले आवो सुरत से 
स्वराज पर उसे लगावो !

#दौलतराम

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 17

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 17

कहरा : 1 : 17

जाकर गाँठि समर कछू नाही , सो निर्धनिया होय डोले हो ! 

शब्द अर्थ : 

जाकर = ज़िसके ! गाँठि = खाते मे ! समर = कर्तृत्व ! कछू नाही = कुछ नही ! सो = वो ! निर्धनिया = गरीब ! होय डोले हो = संसार मे रहता है ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे कर्तुत्ववान लोगोंकी तारीफ करते है ! कार्यशिल लोग श्रीमंत होते है क्यू की समय और शक्ती का सदूपयोग कुछ निर्मिती और समाज हित मे करते है , समाजके कल्याण की सोचते है ! दान दक्षिणा वही लोग दे सकते है जो मेहनत कर धन दौलत कमाते है ! मुलभारतिय हिन्दूधर्म मेहनत से धन संपत्ती कमावो और धार्मिक कार्य , अच्छे कार्य मे खर्च करो कहते है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

Sunday, 30 March 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 1 : 16

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 1 : 16

कहरा : 1 : 16

लीन्ह बुलाय बात नहिं पुछै , केवट गर्भ तन बोले हो ! 

शब्द अर्थ : 

 लीन्ह बुलाय = निमंत्रण देकर बुलाना , आदर से बात करना ! बात नहिं पुछै = उत्तर न देना ! केवट = मछीमार ! तन = शरीर ! तन बोले = हरकते !

प्रग्या बोध :

परमात्मा कबीर कहरा के इस पद मे बताते है की मुलभारतिय हिन्दूधर्म के भोले भाले लोग विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के होमहवन , वैदिक निरर्थक बडबड , सोमरस , गाय ,बैल घोडे आदी की बली के बाद परोसा गया मांसाहार , दारू , मेनका ऊर्वशी का नाच गाना , वैदिक स्त्रिया जो मंदिर मे देवदासी बनकर मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोगोका दिल बहलाती थी इन सभी को भूलकर कुछ लोगोने वैदिक ब्राह्मणधर्म को अपनाकर ब्राहमिनो के निचे क्षत्रिय , वैश्य , शुद आदी वर्ण और मनुस्मृती का कानुन स्विकारा है पर आज वो सब दुखी है अफसोश कर रहे है क्यू की विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म मे समता , भाईचार नही , शोषण है जातिवाद वर्णवाद है छुवाछुत अस्पृष्यता है उनहे अब लगता है वे मछली जैसे वैदिक ब्राह्मण के जाल मे फस गये है और गुलामी ज़िल्लत अपमान के शिवाय और कोई स्थान नही है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्डहिन्दुस्तान , शिवशृष्टी