#रमैनी : ६७
देह हलाय भक्ति नहिं होई * स्वांग धरे नर बहु विधि जोई
ढींगी ढींगा भलो न माना * जो काहू मोहि वृदया जाना
मुख कछु और वृदया कछु आना * सपनेहु काहु मोहि नहिं जाना
ते दुख पइहै ई संसारा * जो चेतहु तो होय उबारा
जो गुरु किंचित निंदा करई * सुकर श्वान जन्म ते धरई
#साखी :
लख चौरासी जीव जन्तु में, भटकि भटकि दुख पाव /
कहहीं कबीर जो रामहि जानै, सो मोहि नीके भाव // ६७ //
#शब्द_अर्थ :
देह हलाय = अंग में देवी देवता लाना , नाच गाना ! ढींगी ढिंगा = ढिंगाना ! मोहि = गुरु को! नीके भाव = भाना , अच्छा लगाना ! स्वान = कुत्ता ! सुकर = सुवर ! राम = चेतन राम , परमतत्व !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो देवी देवता किसी पर सवार नही होती है और ना अंग में आती है ये सब ढोंग है ! उमका नाच गाना , उछालना कूदना सब ढोंग और बनावटी , झूठ है , ये लोग फरेबी है इसे डेरे , मंदिर गुरु घंटाल तांत्रिक मान्त्रिक योगी अघोरी नागा से दूर रहो , वैदिक ब्राह्मणधर्म के ढोंग धतूरे , होम हवन और बलि आदी असत्य नारायण से दूर रहो ये सब जनता को बेवकूफ बनाने के ब्राह्मण पंडा पंडित पूजारी के धन्दे है !
कबित साहेब कहते है जब मैं ऐसे ढोंगी बाबा , पंडित ब्राह्मण के खिलाफ बोलता हूं तो मुझे ये लॉग भला बूरा कहते है , मेरी निंदा करते हैं पर मैं तुम्हे बताता हूं मैं सत्य वक्ता हूं सत्य की बात करता हूं वो सत्य धर्म वो हिन्दू धर्म , वो मूलभारतीय हिन्दूधर्म बताता हुं जिससे तुमारा अज्ञान दूर हो और तुम सद धर्म पर चलकर दुख मुक्त हों और तुम्हे उस परमतत्व परमात्मा चेतन राम के दर्शन हो और जन्म मृत्य के लाखो फेरों से मुक्त होकर निर्वाण प्राप्त कर सको !
भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म छोड़ो वो अधर्म है दुखदाई है , नरक में ले जाने वाला है , नीच जीवन क्यू जीते हो ! बाहर निकलो अपने मूलधर्म आदिधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करो और सुवर , कुत्ते जैसी जिंदगी से बचो !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ