Tuesday, 27 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 67 : Shongi Babu aur Adharma se bacho !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६७ : ढोंगी बाबा , अधर्म से बचो !

#रमैनी : ६७

देह हलाय भक्ति नहिं होई * स्वांग धरे नर बहु विधि जोई 
ढींगी ढींगा भलो न माना * जो काहू मोहि वृदया जाना 
मुख कछु और वृदया कछु आना * सपनेहु काहु मोहि नहिं जाना 
ते दुख पइहै ई संसारा * जो चेतहु तो होय उबारा
जो गुरु किंचित निंदा करई * सुकर श्वान जन्म ते धरई 

#साखी : 

लख चौरासी जीव जन्तु में, भटकि भटकि दुख पाव /
कहहीं कबीर जो रामहि जानै, सो मोहि नीके भाव // ६७ //

#शब्द_अर्थ : 

देह हलाय = अंग में देवी देवता लाना , नाच गाना ! ढींगी ढिंगा = ढिंगाना ! मोहि = गुरु को! नीके भाव = भाना , अच्छा लगाना ! स्वान = कुत्ता ! सुकर = सुवर ! राम = चेतन राम , परमतत्व !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो देवी देवता किसी पर सवार नही होती है और ना अंग में आती है ये सब ढोंग है ! उमका नाच गाना , उछालना कूदना सब ढोंग और बनावटी , झूठ है , ये लोग फरेबी है इसे डेरे , मंदिर गुरु घंटाल तांत्रिक मान्त्रिक योगी अघोरी नागा से दूर रहो , वैदिक ब्राह्मणधर्म के ढोंग धतूरे , होम हवन और बलि आदी असत्य नारायण से दूर रहो ये सब जनता को बेवकूफ बनाने के ब्राह्मण पंडा पंडित पूजारी के धन्दे है ! 

कबित साहेब कहते है जब मैं ऐसे ढोंगी बाबा , पंडित ब्राह्मण के खिलाफ बोलता हूं तो मुझे ये लॉग भला बूरा कहते है , मेरी निंदा करते हैं पर मैं तुम्हे बताता हूं मैं सत्य वक्ता हूं सत्य की बात करता हूं वो सत्य धर्म वो हिन्दू धर्म , वो मूलभारतीय हिन्दूधर्म बताता हुं जिससे तुमारा अज्ञान दूर हो और तुम सद धर्म पर चलकर दुख मुक्त हों और तुम्हे उस परमतत्व परमात्मा चेतन राम के दर्शन हो और जन्म मृत्य के लाखो फेरों से मुक्त होकर निर्वाण प्राप्त कर सको !

भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म छोड़ो वो अधर्म है दुखदाई है , नरक में ले जाने वाला है , नीच जीवन क्यू जीते हो ! बाहर निकलो अपने मूलधर्म आदिधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करो और सुवर , कुत्ते जैसी जिंदगी से बचो !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखंडहिंदुस्थान

Monday, 26 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 66 : Guru ka Dharm Mulbhartiya Hindhudharm !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६६ : गुरु का धर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म !

#रमैनी : ६६

सोई हित बन्धु मोहि भावै * जात कुमारग मारग लावै 
सो सयान मारग रहि जाई * करै खोज कबहूं न भुलाई 
सो झूठा जो सुत को तजई * गुरु की दया राम ते भजई 
किंचित है एक तेज भुलाना * धन सुत देखि भया अभिमाना 

#साखी : 

दिया न खता ना किया पयाना, मंदिर भया उजार /
मरि गये सो मरि गये, बाँचे बांचनहार // ६६ //

#शब्द_अर्थ : 

सयान = श्रेष्ठ , समझदार! सुत = पुत्र , ज्ञान ! ते = वे , वही ! तेज = माया की चमक ! चमक = दमक ! मंदिर = शरीर , घर ! उजार = भग्न , सुनसान , प्राण रहित ! गुरु की दया = गुरु ज्ञान! राम = चेतन राम , परमतत्व ! सयान मार्ग = मूलभारतीय हिन्दूधर्म , सत्यधर्म!

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाई वही लोग और साधु मुझे अच्छे लगते है जो कुमार्ग अधर्म विकृत वैदिक ब्राह्मणधर्म पर चल रहे लोगोंको सही मार्ग मूलभारतीय हिन्दूधर्म , सत्यधर्म के मार्ग पर फिर से वापस लाते है उसके लिऐ प्रयास करते है और सत्य हिन्दू धर्म का जो मार्ग हम बताते है उसे भूलते नही ! 

हमारा मार्ग शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित है यहां जातीवाद वर्णवाद अस्पृश्यता विषमता आदि अमानवीय विचार और वैदिक ब्रह्मण अधर्म के ढकोसले को कोई स्थान नहीं ! विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म और मूलभारतीय हिन्दूधर्म अलग अलग ये गुरु की बात को समझ गए वही ज्ञानी हो गए ।

कबीर साहेब कहते हैं माह माया के दिखावे में चमक धमक को ना भूलो उसके फंदे में ना पड़ो यह शरीर क्षणभंगुर है न जाने कब प्राण उड़ जाए और ये शरीर , ये महल जिस के मोह में तुम अटके हो निस्तेज भग्न हो जाए उसके पहले गुरू ने बताया मूलभारतीय हिन्दूधर्म के मार्ग पर चलो !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नर्सिंग_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 64

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६४ : #सदधर्म_मूलभारतीय_हिन्दूधर्म !

#रमैनी : ६४

काया कंचन जतन कराया * बहुत भ्रान्ति के मन पलटाया 
जो सौं बार कहों समुझाई * तैयो धरो छोरि नहिं जाई 
जन के कहैं जन रहि जाई * नौ निद्धि सिद्धि तिन पाई 
सदा धर्म जाके वृदया बसई * राम कसौटी कसतहि रहई 
जो रे कसावै अन्ते जाई * सो बाउर आपुहि बौरई 

#साखी :

ताते परी काल की फाँसी, करहु न आपन सोच /
जहां संत तहां संत सिधावैं, मिलि रहै धुतहि धुत // ६४ //

#शब्द_अर्थ : 

पलटाया = घुमाया ! धरो = पकड़ा ! जन = लोग , योगी ! नौ निद्धि = कुबेर के खजाने ! सिद्धि = अष्ट सिद्धियां !  सदा धर्म = सदधर्म , मूलभारतीय हिन्दूधर्म ! अंतई =  अनात्म, अलग ! बाउर = मूर्ख ! काल = कल्पना , अज्ञान !  सोच = विचार , चिंतन !  धूत = धूर्त , छल , कपट ! 

#प्रज्ञा_बोध :

धर्मात्मा कबीर कहते है लोग विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म की अंधश्रद्धा, विकृति , अधर्म और न जाने कौन कौन से गप पर विश्वास करते है उनमें से एक है  योगी की हट योग से रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति और लोग उसपर विश्वास करते है !  कुबेर का छुपा खजाना प्राप्ति की अघोरी विधि !  नर बलि  आदी  काली जादू से  छुपी धन दौलत  की प्राप्ति की विधि , पूजा आदि ! लोगों को सोना चांदी धन दौलत का मोह है इसलिए ऐसी नाना विधि से ये लोग उम्र बढ़ाना , लंबी आयु जीना , छुपा धन आदि कुबेर का धन प्राप्त करना चाहते हैं जब की मैं बार बार समझा रहा हूं भाईयो योग , काला जादू से धन संपत्ति या छुपा खजाना आदि नही मिलता ! ना कोई अमर अजर होता है ! 

सदधर्म को वृदाय से अनुसरण करो ,उस चेतन राम को याद रखो जो तुमसे शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा का धर्म आचरण चाहता है अपने आप से पूछो क्या आप सदधर्म, मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करते हो ?

कबीर साहेब कहते है वैदिक अधर्म और मूर्ख कर दने वाली योग सिद्धि आदि मनगढ़ंत बतोसे ना शरीर संपदा मिलेगी ना सोना चांदी और अन्य संपत्ति ! धूर्त लोग अपना उल्लु सीधा करने के लिए अपने निजी स्वार्थ के लिए , फायदे के लिए गलत सलत विधि विधान और अधर्म बताते  है जो धर्म नही है ! अधर्म से भला होना संभव नहीं !  

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्तान

Sunday, 25 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 65 : Parakh karo ,Vivek Karo !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६५ : परख करो विवेक करो !

#रमैनी : ६५

अपने गुण को अवगुण कहहू * इहै अभाग जो तुम न विचारहू 
तूं जियरा बहुतै दुख पावा * जल बिनु मीन कौन संच पावा 
चात्रुक जलहल आसै पासा * स्वांग धरै भवसागर की आसा 
चातुक जलहल भरै जो पासा * मेघ न बरसे चले उदासा 
राम नाम इहै  निजू सारा * औरो झूठ सकल संसारा 
हरि उतंग तुम जाति पतंगा * यम घर कियहु जीव को संगा 
किंचित है सपने निधि पाई * हिय न समाय कहां धरौ छिपाई 
हिय न समाय छोरि नहिं पारा * झूठा लोभ किछउ  न विचारा 
सुमृति कीन्ह आपु नहिं माना * तरुवर तर छर छार हो जाना 
जिव दुर्मति डोले संसारा * ते नहिं सूझे वार न पारा 

#साखी : 

अंध भया सब डोलै, कोई न करै विचार /
कहा हमार मानै  नहीं, कैसे छुटै भ्रम जार // ६५ //

#शब्द_अर्थ : 

अपने गुण = मानवीय विचार शक्ति ! संच = सुख ! चातुक = चातक पक्षी ! जलहल = जलधर , समुद्र,  जलाशय !  स्वांग = नाना वेश  , नकल!  उतंग = उतुंग , ऊंच ! यम = वासना ! निधि = खजाना ! किछउ = थोड़ा ! वार पार = समाधान ! भ्रमजार = भ्रमजाल !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाइयों हम मानव है हम में कितने ही मानवीय गुण है जो अन्य प्राणी में नही उसमे एक प्रमुख है मानव विचार शक्ति ! इस विचार शक्ति , विवेक करने की शक्ति , निरक्षीर , परक की शक्ति यह अदभुत मानवीय गुण है इस गुण  को कुछ लोग अवगुण कहते है विचार मत करो कहते है जो विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म के वेद और मनुस्मृति में बताया उस विकृत अधर्म को मानो कहते है ! जाती वर्ण छुवाछुत , अस्पृश्यता, विषमता कैसे धर्म  हो सकता है ? ये अधर्म है इसपर विवेक करो विचार करो परख करो कबीर साहेब कहते है ! 

जिस प्रकार चातक पक्षी उसके आस पास के जलाशय में विपुल पाणी होने बाद भी स्वाति नक्षत्र के समय आकाश से पाणी बरसे की आज लगाकर आकाश के तरफ देखते रहता है और पाणी ना बरसे तो प्यासा ही रहता है क्यू की वो विवेक नही करता पर मानव विवेक कर सकता है , कबीर साहेब उस विवेक बुद्धि पर मनुस्मृति , वेद और सभी विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के रीती रिवाज , पूजा अर्चना , देवी देवता उनके चरित्र आदि परखो यह बताते है ! 

कबीर साहेब कहते है धन दौलत को बहुतसारे लोग अपने जीवन का लक्ष समझते है और नश्वर संसार , शरीर में निरर्थक मोह माया में जीते हुवे विवेक बुद्धि खो देते है और अंतता जीवन की सार्थकता खो देते है ! 

कबीर साहेब कहते है आकाश के देव , पत्थर के मूर्ति में देव नही वो चेतन राम विवेक ही है जो हम तुम में मानव में है ! उस स्वयम में विद्यामान चेतन राम की दी हुवी प्रज्ञा बोध की शक्ति पहचानो !  ब्राह्मण अधर्म झूठ छोड़ो नही तो तुम्हारा  मानव जीवन तुम्हारे ही दुर्मती से निश्चित है !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभाराती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखंडहिंदुस्तान

Friday, 23 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 63 : Videshi Brahmin Neeti Bato aur Raj karo !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६३ : #विदेशी_ब्राह्मण_नीति_बाटो_राज #करो !

#रमैनी : ६३

नाना रूप वर्ण एक किन्हा * चारि वर्ण वै काहु न चीन्हा 
नस्ट गये कर्ता नहिं चीन्हा * नष्ट गये औरहि मन दीन्हा 
नष्ट गये जिन्ह बेद बखाना * बेद पढ़े पर भेद न जाना 
बिमलख को नैन नहिं सूझा * भया अयान तब किछउ न बूझा 

#साखी : 

नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेष /
घट घट है अविनाशी, सुनहु तकी तुम शेख // ६३ //

#शब्द_अर्थ : 

नाना रूप = अलग अलग कार्य , पहचान ! वर्ण = विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के धर्मग्रंथ वेद और मनुस्मृति ! एक = मानव ! वै = वे वैदिक ब्राह्मण ! कर्ता = मनुष्य ! औरहि = दूसरे ! बखाना = विधान , व्याख्या , टीका ! बिमलख = दिव्यदृष्टि ! अयान = अज्ञान ! अविनाशी = अमर चेतन राम ! शेख = शेखतकी , सूफी संत जो सिकन्दर लोदी के गुरु थे ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

विदेशी वैदिक जो वेद को और मनुस्मृति को उनके धर्म का धर्मग्रंथ और कानून मानते है वे दर असल भारतीय नही , हिंदुस्तानी नही , हिन्दू नही है ! हिन्दू हिंदुस्तान के दुश्मन है , देश के दुश्मन है ! जब वो यूरेशिया से ईरान के रास्ते आये उनका मकसद था इस सुजलाम सुफलाम भूमि पर राज करना जैसा की विदेशी ब्रिटिश लोगोका रहा है ! दोनो ने वही जाना माना सत्ता सूत्र अपनाया बाटो और राज करो ! 

सिंधू हिन्दू संस्कृति से चले आ रहे समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक भाईचारावादी , शील सदाचार वादी मूलभारतीय सनातन पुरातन आदिम आदिवासी नाग वंशी लोगोको पहले अपने को मूलभारतीय को दो वर्ण में बाटा पहला और सर्व श्रेष्ठ खुद को ब्राह्मण और ब्रह्मा के वंशज बताया , ब्रह्मा को भगवान ईश्वर देव बताया और वेद को अपौरुषेय यानी भगवान निर्मित !

मूलभारतीय हिन्दूधर्म और सिंधूहिन्दू नाग वंशी सभ्य नाग्रिक सभ्यता नागरिक भाषा को अमान्य कर देवनागरी नाम दिया और प्राकृत मे अनावश्यक संस्कार कर एक ब्रह्मिनोकी सिक्रेट कोड लैंग्वेज संस्कृत भाषा बना दिया ताकि उनकी आपस की बात यहा के आदिवासी मूलभारतीय हिन्दू जान न सके ! 

जो यूरेशियन ब्राह्मण नही उन सभी लोगोंको अब्राह्मण , गैर ब्राह्मण घोषित कर उनके राजकूल , व्यापारी वर्ग को ब्राह्मण गोरी कन्याये देकर सोमरस पिलाकर और जनेऊ जैसा गाय की अतडी , चमड़ी को पहना कर दूसरे तीसरे वर्ण क्षत्रिय वैश्य बनाए गए और अपनी कूटनीति बाटो और राज करो में सफल हुवे ! 

मूलभारतीय हिन्दूधर्म के अमृत वृक्ष पर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का वर्ण जाति अस्पृश्यता विषमता भेदभाव उचनीच , आदि का विषवृक्ष की डार प्रत्यारोपित कर दी गई जी से हजारों जाति के और विषमता अमानवता के फल आये जिसने इस देश की एकता और अखंडता खंड खंड कर दी ! 

मूलभारतीय हिन्दूधर्म की समता की जड़े यहां की मिट्टी में बहुत गहरी गई है वो समता का विचार कीसी न किसी तरीके से धरती पर लाते रहे है जैनधर्म , बुद्धधर्म , सिखधर्म उसी समता रस की देन है जिसने विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का जाती वर्ण विषमता वाद अस्वीकार किया और मूलभारतीय हिन्दूधर्मी समाज विविध पंथ मार्ग से अपना वैदिक ब्राह्मणधर्म से अलगपन दिखाता रहा चाहे वो वारकरी , शैवी , लिंगायत जैसे कितने ही संप्रदाय है कुल मिलाकर देश की पूर्ण मूलभारतीय गैर ब्राह्मण आबादी आज विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म को नही मानता है जब की उनकी नीति बाटो और राज करो आज भी काम कर रही है ! 

कबीर साहेब यही बताना चाहते है मूलभारतीय हिन्दूधर्म और विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म अलग अलग है ! यही बात वो शेखतकी , मुस्लिम शासक सिकंदर लोदी के गुरु को बताना चाहते है हमारा मूलतत्व समता भाईचारा मानवता शील सदाचार ही है और हमे ना ब्राह्मणधर्म की जरूरत है नाही तुर्की मुस्लिमधर्म की ! 

कबीर साहेब ने जमीनी मूलभारतीय हिन्दूधर्म को फिर से पल्लवित किया ! उसे धर्मवाणी पवित्र बीजक दी जो मूलभारतीय हिन्दूधर्म का एकमात्र धर्मग्रंथ है और कानून है हिन्दू कोड बिल के कायदे ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , #अखंड_हिंदुस्तान

Thursday, 22 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 62 : Videshi Vaidik Brahman Dharm aur Turki Muslim Dharm Chhodo Swadeshi Mulbhartiya Hindhudharm ka palan karo !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६२
#वैदिक_ब्राह्मणधर्म_तुर्की_मुस्लिमधर्म_छोड़ो_स्वदेशी_मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_का_पालन_करो !

#रमैनी : ६२

जो तू करता बर्ण बिचारा * जन्मत तीनि दण्ड अनुसारा 
जन्मत शुद्र मुये पुनि शुद्रा * कृतम जनेऊ घाली जग धन्दा 
जो तू ब्राह्मण ब्राह्मणी को जाया * और राह दे काहे न आया 
जो तू तुरक तुरकनि को जाया * पेटहि काहे न सुन्नति कराया 
कारी पियरी दूहहु गाई * ताकर दूध देहु बिलगाई 
छाड़ु कपट नर अधीक सयानी * कहहि कबीर भजु सारंग पानी 

#शब्द_अर्थ : 

तीन दण्ड = तीन विधान , कानून ! अनूसारा = के अनुसार ! कृतम = कृत्रिम , बनावटी ! धन्दा = व्यवसाय ! जनेऊ = कृत्रिम धागा ! सुन्नति = मुस्लिम सुन्नत के, खतना ! भजु = मानना ! सारंग पानी = विषमता अन्याय के खिलाफ धनुष्य बाण लेकर लड़ने वाला राम , कृष्ण , शिव आदि मूलभारतीय वीर पुरुष 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पंडे पुजारी अपने धर्मग्रंथ वेद के आधार पर यह बताते है की तीन वर्ण ब्राह्मण , क्षत्रिय वैश्य ये सवर्ण है और शुद्र ये अवर्ण है , अवर्ण से ही बने अस्पृश्य इन सब के लिऐ अलग अलग विधान यानी कानून है और कर्तव्य और सजा या दंड भी अलग अलग है ! ब्राह्मण को सब अपराध माफ है वो सभी सवर्ण अवर्ण का मालिक है उनकी सर्व संपत्ति , बालबच्चे , बीबी , संपत्ति अधिकार आदि सभी ब्राह्मण के अधीन और इच्छा अनुसार ही है ! यहां तक की उनके देवी देवता ब्रह्मा , इंद्र , विष्णु , सोम , रुद्र , अग्नि आदि वैदिक ब्राह्मण के मंत्र और पूजा तंत्र के अधीन है जब बुलाएंगे होम के अग्नि कुंड से प्रगट होना होगा इत्यादि इत्यादि 

कबीर साहेब वेद और दंड संहिता मनुस्मृति को नकारते हुवे बताते है कृत्रिम जनेऊ पहनने से कोई ब्राह्मण नही होता , दम है तो ब्राह्मण अपने मां के पेट से जनेऊ पहना बाहर आ ! कबीर साहेब वैसे ही तुर्क से ले आए मुस्लिम धर्म के लोगोंको सुन्नत कर मुस्लिम बनाने के रीती को भी नकारते है और कहते है हे मुस्लिम तू अपने मुस्लिम मां के पेट से सीधा सुन्नत कराकर जन्म लेकर बता !

कबीर साहेब कहते काली हो या पीली गाय का दूध जिस प्रकार एक होता है समान और सफेद होता है वहा विषमता नही होती है वैसे ही मानव का जन्म एक तरीके से होता है और सभी मानव समान है , उसमे वर्ण जाति का भेद नहीं किया जा सकता ना कोई उचनीच अस्पृश्य है ! ना कृत्रिम तरीके से किसी को उचनिच अस्पृश्य बनाया जा सकता है !

कबीर साहेब यूरेशिया से आया वैदिक ब्राह्मणधर्म और तुर्क से आया मुस्लिम धर्म और उस धर्म के लोगोंको विदेशी और गैर भारतीय मानते हुवे गैर हिन्दू मानते है और अपने मूलभारतीय सिंधु हिंदू संस्कृति जो अत्यंत प्राचीन काल से चली आ रही है उस आद्द, आदिवासी , मूलभारतीय सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक शील सदाचार भाईचारा पर आधारित सत्य हिन्दू धर्म मूलभारतीय हिन्दू धर्म का विचार को बताते हुवे उसका पालन करने की बात करते है ! 

कबूर साहेब कहते है कपट छोड़ो कृत्रिम जनेऊ , सुन्नत छोड़ो भेदभाव वाला वैदिक ब्राह्मणधर्म छोड़ो अपना मूलभारतीय हिन्दूधर्म मानो और उसका पालन करो ! कबीर साहेब कहते हैं मैं उन विरोंको नमन करता हुं जो तीर तलवार ले कर अन्याय , विषमता , वर्ण जाति भेद , अस्पृश्यता आदि अमानवीय धर्म विकृति से लड़ें है उन धनुर्धर सारंगपानी राम को मेरा नमन ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Wednesday, 21 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 61 : Brahman Janm Verth gaya !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६१ : #ब्राह्मण_जन्म_बेकार_हुवा !

#रमैनी : ६१

धर्म कथा जो कहतहि रहई * लाबरि उठि जो प्रातहि कहई 
लाबरि बिहाने लाबरि स्नझा * एक लाबरि बसे वृदया मंझा 
रामहु केर मर्म नहिं जाना * ले मति ठानिन बेद पुराना 
वेदहु केर कहल नहिं करई * जरतइ रहे सुस्त नहिं परई 

#साखी : 

गुणातीत के गावते, आपुहि गये गवाय /
माटी का तन माटी मिलिगौ, पवनहि पवन समाय // ६१ //

#शब्द_अर्थ : 

धर्म कथा = भागवत , गीता पाठ , सत्य नारायण कथा ! लाबरि = झूठी बात ! सुस्त = शांत ! गुणातीत = गुणों से परे , निर्गुण ! गवाय = खोया , गाना ! रामहु= चेतन राम ! बेद पुराना = वेद और पुराण ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पंडित सवेरे उठाते ही झूठ बोलना शुरू करते है और दिनभर झूठ और झूठ बोलते रहते उनकी शाम होती है और दिन ढलता है पर उनका झूठ और झूठ बोलने की आदत कभी कम नहीं होती ! झूठ उनके वृदय में पूरी तरह बस चुका है ! वे कभी नहीं सुधरेंगे !

वैदिक ब्राह्मण वेद और पुराण से झूठी कथाएं धर्म कथा करके सुनते रहते है जैसे असत्य नारायण की कथा और मोटी दक्षिणा , माल लेकर झूठ के सहारे अपना और अपने कुटुम्ब का लालन पालन करते है ! उनका अधर्म यही उनका धर्म है , विकृत वेद और भेद वर्ण और जाति वेवस्था , उचनीच भेदाभेद , अस्पृष्यता और जनेऊ चोटी का दिखावा , वैदिक असभ्य मंत्रो की निरर्थक बड़बड़ यही उनका जीवन धर्म है ! 

ब्रह्मिनोका खुद उनके वेदा पर भरोसा नहीं ना ऊनके वैदिक देवी देवता ब्रह्मा इंद्र , रुद्र , गायत्री आदि पर भरोसा है ना ऊनके देवी देवता उनके मंत्रो के आवाहन पर अब खुश होकर वेद के होम हवन अग्नि से परगट हो उन्हे कोई वर इच्छित फल देते है ! वे इधर उधर की चोरी कर मानगढ़न कथा बनाते है और दान दक्षिणा समिधा के लिऐ दिनरात झूठी कथाएं करते रहते है !

कबीर साहेब कहते है ब्रह्मिनो का जीवन व्यर्थ गया ! वे केवल पाप की गठरी लदे गधे की जिंदगी जी रहे है ! 

कबीर साहेब कहते है वे मूलभारतीय धर्म संस्कृति नही जानते ना हमारे चेतन निर्गुण राम को जानते है , ना उनका विश्वास शील सदाचार में है वे अभी भी विदेशी व्युरेशियां से असभ्य लोग है जो असंगत वेद के अर्थहीन मंत्र पढ़कर अपना जीवन गवा रहे है !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Tuesday, 20 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 60 : Pratishtha Dharmik Jivan Me !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६० : #सच्ची_प्रतिष्ठा_धार्मिक_जीवन_में !

#रमैनी : ६०

छाड़हु पति छाड़हु लबराई * मन अभिमान छूटि तब जाई 
जिन ले चोरी भिक्षा खाई * सो बिरवा पलुहवान जाई 
पुनि सम्पति औ पति को धावै * सो बिरावा संसार लै आवै 

#साखी : 

झूठ झूठा कै डारहू, मिथ्या यह संसार / 
तेहि कारण मैं कहत हों, जाते होय उबार // ६० //

#शब्द_अर्थ :

लबराई = लबाड़ी , झूठ बोलना ! पति = स्वामी , मालकी ! साख = रोब, मान ! बिरवा = वृक्ष , संसार ! पलुहावन = पल्लवित हराभरा ! धावै = दौड़ना , ध्यान करना !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो इस संसार में लोग धार्मिक जीवन जीने के बजाय सांसारिक वस्तुएं संग्रहित करने में जादा रुचि ले रहे है झूठ बोल रहे है चोरी कर रहे है शक्तिवान और समर्थ होने के बाद भी भिकारी की तरह दूसरे के श्रम और संपत्ति पर स्वामित्व और उस पर मजेसे जीना चाहते है ! संपत्ति की लालच में पड़े लोग झूठ पर झूठ बोलते है और उसी के पिछे पड़े रहते है ! उनको लगाता है अधिक संपत्ति का मतलब अधिक प्रतिष्ठा , ज्यादा मान , रोब !

कबीर साहेब कहते हैं कोई बिरला ही है जो इस मिथ्या रोब प्रतिष्ठा अहंकार को समझता हो और संसार के क्षणभंगुर वस्तु के पीछे भागने के बजाय राम को जो प्रिय है मर्यादा में जीता है ! धर्म में जीता है ! भाईयो जब अधर्म लोभ लालच में जीवोगे तो संसार के जीवन मरण और दुख से कैसे निकलोगे , कैसे बचोगे ? लालच मोह माया झूठ मुफ्तखोरी चोरी से बाहर निकलो और सद्धर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म की राह पर चलो तभी तुम्हे सच्चा सुख शांति और प्रतिष्ठा मिलेगी !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Monday, 19 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 59 : Homhavan Murtipuja Hatyog sab Bekaar !

#पवित्र _बीजक : #प्रज्ञा _बोध : #रमैनी : ५९ : #होमहवन_मूर्तिपुजा_हठयोग_ये_सब_अज्ञान 

#रमैनी : ५९ 

चढ़त चढ़ावत भंडहर फोरी * मन नहिं जाने केकरि चोरी 
चोर एक मूसै संसारा * बिरला जन कोई बुझनहारा 
स्वर्ग पताल भूम्य ले बारी * एकै राम सकल रखवारी 

#साखी : 

पाहन हैं हैं सब गये, बिन भितियन के चित्र /
जासो कियउ मिताइया, सो धन भया न हित // ५९ //

#शब्द_अर्थ : 

भंडहर = बर्तन , शरीर ! चोर एक = अज्ञान! बारी = फुलवारी! बाग = विश्वास , मान्यता ! पाहन = अविवेकी !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं पहले विदेशी वैदिक ब्राह्मणों के होमहवन , गाय घोड़े की हवन में बली और ब्रह्मा आदि ब्राम्हण लंपट भगवान अग्नि से प्रगट होते है इसी पूजा विधान से लोगांको बेवकूफ बनाते रहे ! उसके ऊपर कुछ मूर्ति पूजक तरह तरह की हजारों मनगढंत मूर्तियां बनाकर निरर्थक मूर्ति पूजा में लगा दिया ! वही कुछ हटयोगी कुंडली आदि मन की अंधश्रद्धा को बड़ी तंत्र विधि बताकर लोगो को काल्पनिक जग में कपालभाती , खोपड़ी में मन और रुधर की सनसनाहट को ओम की आवाज बताकर पागल कर दिया और भ्रांति के जग ले जाकर विवेक को खो देकर पागल बनाने की विधि बताते रहे है जिसे वे योग माया से भगवान प्राप्ति कहते है ! वो सब कुछ हासिल किया कहते है , ये सब मार्ग बेकार है ! 

कबीर साहेब कहते हैं ये सब अज्ञानी है , वास्तविकता नही जानते या उससे दूर भाग रहे है ! भाईयो अपने आप को पहचानो , चेतनराम तुम्हारे खुद में है उसकी बाहरी पूजा की कोई जरूरत नहीं ! न खोपड़ी फोड़ हठयोग की न वैदिक झूठे देवी देवता अवतार की !

अपने कर्म के मालिक और फल देने लेने भुगतने वाले तुम खुद हो , वो चेतन राम सब के लिऐ समान न्यायी है ! सहज रहो , शील सदाचार का पालन करो तभी राम के दर्शन होंगे अन्य किसी मार्ग से नही ! अन्य मार्ग केवल मानसिक आजार , भ्रम , दृष्टि दोष और अज्ञान है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस  
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, भारत

Sunday, 18 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 58 : Mukti ka Marg !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५८ : #दुख_मुक्ति_का_मार्ग !

#रमैनी : ५८

तैं सुत मान हमारी सेवा * तो कहैं राज देऊं हो देवा 
अगम दृगम गढ़ देऊं छुड़ाई * औरों बात सुनहु कछु आई 
उतपति परलय देऊँ देखाईं * करहु राज सुख बिलसो जाई 
एकौ बार न होइहैं बाँको * बहुरि जन्म न होईहैं ताको
जाय पाप सुख होईहैं घना * निश्चय बचन कबीर के मना 

#साखी : 

साधु सन्त तेई जना, जिन्ह मानल बचन हमार /
आदि अन्त उत्पति प्रलय, देखहु दृष्टि पसार // ५८ //

#शब्द_अर्थ : 

सुत = बच्चा, शिष्य ! राज = स्वरूपस्थिति ! अगम = अगम्य, न समज में आने वाला ! दृगम = दृष्टि में आने वाला ! गढ़ = किला ! उतपति परलय = निर्माण विनाश ! आदि अन्त = जन्म मरण ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है कोई बच्चा , ना समज शिष्य , सामान्य व्यक्ति हमारे पास आता है तो सेवा के बदले हमसे राजपाट धनसंपत्ति कैसे मिले इसके उपाय पूछता है , तंत्र मंत्र अनुष्ठान क्रिया आदि मांगता है , पर हम यह सब नही दे सकते क्यू की हम धार्मिकता देनेकी बात करते है , शील सदाचार की बात करते है ! जन्म मरण के फेरे से बाहर आने की मुक्ति की बात करते है जहा दुख ना हो ! 

कबीर साहेब कहते हैं विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के मूर्ति पूजा, ढकोसले , अंधश्रद्धा , अधर्म और विकृति से बाहर निकलो तभी तुम्हे मेरे बताए मुक्ति का धर्म मार्ग समझ में आयेगा !

कबीर साहेब कहते है मैं बार बार लोगोंको साधु संतो को शिष्य और सामान्य लोगोंको समझाता हूं भाई बार बार मोह माया में फस कर क्यू बार बार जन्म मृत्यु के फेरे में फसते हो ? आवो मैं बताता हु उस मुक्ति के मार्ग पर चलो , धर्म की राह पर चलो, मूलभारतीय हिंदू धर्म की राह पर चलो , वही अंतिम सुख और मुक्ति का मार्ग है और मैं उसे ही सच्चा साधु संत मानता हूं जो सनातन सत्य मूलभारतीय हिंदू धर्म की राह पर चल निर्वाण प्राप्त करता है ! मेरा धर्म मार्ग पाप से मुक्ति और सुख के लिए है ! इस मार्ग पर चलकर ही तुम्हे मुक्ति मिलेगी यह मेरा दृढ़ विश्वास , निश्चय और दावा है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Saturday, 17 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 57 : Brahmino ke Afwaah se bacho !

पवित्र बीजक : प्रज्ञा बोध : रमैनी : ५७ 

रमैनी : ५७

कृतिया सूत्र लोक एक अहई * लाख पचास की आयु कहई 
विद्या वेद पढ़े पुनि सोई * बचन कहत परतक्षै होई 
पैठी बात विद्या की पेटा * वाहुक भरम भया संकेता 

साखी : 

खग खोजन को तुम परे, पाचे अगम अपार /
बिन परचै कस जानिहो, कबीर झूठा है हंकार // ५७ //

शब्द अर्थ : 

कृतिया = कृत्रिम, बनावट ! सूत्र = वैदिक मंत्र ! सोई = वही ! पेटा = पेट , अंतकरण ! वाहूक = सामान्य लोग , भार ढोने वाले ! संकेता = इशारा ! खग = पक्षी ! पाछे = भूत काल ! बिन परचै = बिना जाने परखे ! हंकार = अहंभाव !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी ब्राह्मण और पंडित अपने धर्म ग्रंथ के सूत्र मंत्र की बड़ी तारीफ करते है कहते है होम हवन में गाय घोड़े की आहुति देने के बाद खुद उनके भगवान ब्रह्मा विष्णु इंद्र आदि सशरीर होम हवन के अग्नि से प्रगट होते है और इच्छित वर फल देते है ! वो कहते है उनके भगवान ब्रह्मा विष्णु इंद्र अमर है और उनके ब्रह्मर्षि हजारों साल जीते है जैसे परशुराम आदि वे अफवाये खूब फैलाते है जैसे जहाज संडास के मलमूत्र बाहर निकलने के लिए बनाए गए मेन होल से कोई भागे तो उसे वीर कहते है और डर के मारे किसी दीवार के ऊपर चढ़ जाए तो उसे दीवाल चलाना कहते है ! अपना घी का कोई कुत्ता चाट जाए तो उसे मारने दौड़े तो उसे कुत्ते को घी खिलाने पीछे दौड़े कहते है ! 

कबीर साहेब कहते ये खूब झूठ भ्रम फरेब फैलाते है जिनमे किसका अमर होना हजारों साल जीना जैसे कई गप है और सामान्य लोग इनके कु प्रचार के शिकार हो जाते है और वही झूठ आगे फैलाते है ! 

कबीर साहेब कहते है भाईयो किसी भी बात पर विश्वास करने के पहले उसे सामान्य ज्ञान के कसौटी पर अच्छी तरह परख लो ये वैदिक ब्राह्मण बड़े झूठे फरेबी है !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Friday, 16 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 56 : Jivan Kshanbhangur !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५६ : जीवन क्षणभंगुर वैदिक पंडितो अधर्म छोड़ो !

#रमैनी : ५६

दिन दिन जरै जलनी के पाऊ * गाड़े जाय न उमगे काहू 
कन्धन देइ मस्खरी करई * कहुधौं कौन भांति निस्तरई 
अकर्म करै औ कर्म को धावै *पढि गुनि बेद जगत समुझावै 
छूँछे परैं अकारथ जाई * कहहीं कबीर चित चेतहु भाई 

#शब्द_अर्थ :

जलनी = जलाने वाली ! पाऊ = अधीनता ! उमगे = उबरना ! कंधन देई = शव को कांधा देने वाले ! धौं = भला ! अकर्म = बुरे कर्म ! कर्म = अच्छे कर्म ! छूंछे = व्यर्थ ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो इस संसार में जीवन एक बुलबुले की तरह क्षणिक है तब भी हम सब आसक्ति मोह माया में जीते है ये नही जानते समशान में रोज कितने लोगोंके शव जलते है इन्हे देख कर भी क्षणभंगुरता का बोध नहीं होता ! कितने ही लोग है शव को कांधा देते हुवे ले जाते है और मन ही मन जल्दी निपट जाये ऐसा सोचते है ! 

कबीर साहेब कहते भाई जागो बुरे कर्म से बचो अच्छे कर्म करो ! कुछ खुद को पढ़े लिखे वेद के जानकार अपने को ज्ञानी पंडित तो कहते है और संसार की क्षणभंगुरता की बात तो करते है और मौत पर अपना धंदा भी चलाते है न जाने कीतने अवडंबर , अंधश्रद्धा उन्होंने फैला रखी है मैं उन वैदिक ब्राह्मीनोसे कहता हूं अधर्म फैलाना छोड़ो ! तुम्हारा भी जीवन तुम व्यर्थ गवा रहे हो ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Thursday, 15 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 55 : Karm Fal !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५५ : #कर्मफल_सब_को_मिलता_है !

#रमैनी : ५५

गये राम औ गये लछमना * संग न गई सीता ऐसी धना 
जात कौरव लागु न बारा * गये भोज जिन्ह साजल धारा 
गये पांडव कुंता ऐसी रानी * गये सहदेव जिन बुधी मति ठानी 
सर्व सोने की लंका उठाई * चलत बार कछु संग न लाई 
जाकर कुरिया अंतरिक्ष छाई * सो हरिचन्द देखल नहिं जाई 
मुरख मनुसा बहुत संजोई * अपने मरे और लग रोई 
ई न जानै अपनेउ मरि जैबे * टका दश बिढई और ले खैबे 

#साखी : 

अपनी अपनी करि गये, लागि न काहु के साथ /
अपनी करि गये रावणा, अपनी दशरथ नाथ // ५५ //

#शब्द_अर्थ : 

धना = गृह लक्ष्मी , सुन्दरी , सुंदर युवती ! धारा = धरती या नगरी ! अंतरिक्ष = आकाश ! मनुसा = मनुष्य ! संजोई = संग्रह ! बिधई = वृद्धि करना !  

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो राजा राम चले गये , लक्ष्मण भी मर गये , राम की सुंदर स्त्री सीता जिसके लिये राम ने रावण के साथ युद्ध किया वो पत्नी भी चली गई ! कौरव पांडव और बुद्धिमान सहदेव भी मर गये और राजा भोज जिसने धरती को सजाया और सोने की लंका के अधीपति रावण भी मर गया , पर रावण सोने की लंका अपने साथ नही ले जा सका ! जिसकी कीर्ति आकाश पताल और धरती पर छाई रही वो राजा हरिशचंद्र मर गया !

कबीर साहेब कहते है भाईयो मानव बड़ा मूर्ख है खुद मरता है , उसके खुद के जीवन का कोई भरोसा नहीं पर दूसरे के मरने से दुखी होता है ! बहुत धन संपत्ति इकठ्ठा करता है, दान पुण्य करता नही और बीबी बच्चों रिश्तेदार के लिये छोड़ जाता है जो अधिक मालकी मिले करके इनके मरते ही लड़ना शुरू करते है ! 

भाईयो अपने अपने कर्म से सभी फल भुगतते है चाहे दशरथ के पुत्र राजा राम हो या लंका का अधिपति रावण ! सभी मोह माया अहंकार के कारण कर्म फल भुगते और मरे ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस #दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

Wednesday, 14 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 54 : Parivartan Sansaar ka Niyam hai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५४ : #परिवर्तन_संसार_का_नियम_है ! 

#रमैनी : ५४

मरिगौ ब्रह्मा काशी को बासी * शीव सहित मूये अविनासी 
मथुरा को मरिगौ कृष्ण गोवारा * मरि मरि गये दशों अवतारा 
मरि मरि गये भक्ति जिन्ह ठानी * सगुर्ण मां निगुर्ण जिन्ह आनी 

#साखी : 

नाथ मछन्दर बाँचे नहीं, गोरख दत्त औ व्यास /
कहहिं कबीर पुकारि के, ई सब परे काल के फाँस // ५४ //

#शब्द_अर्थ : 

अविनासी = जिसका नाश नही होता वो चेतन राम ! गोवारा = गोपाल , कृष्ण , बलराम ! दशों अवतारा = वैदिक ब्राह्मणधर्म की दस अवतार कल्पना ! नाथ मछन्दर = गोरखनाथ के गुरु मछिन्दरनाथ ! दत्त = वैदिक ब्राह्मणधर्म का एक काल्पनिक देवता ! व्यास = ब्राह्मण धर्मग्रंथ चार वेद का लेखक ! काल के फाँस : मृत्यु !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो जो भी देह धारण करने वाले जीव जंतु हो या अन्य सब को परिवर्तन की अवस्था से निरंतर गुजारना पड़ता है , जुड़ना टूटना का खेल निरंतर जारी है इस लिए जन्म मरण का सिलसिला निरंतर चालू है ! जो जन्मा और जिनको विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोगोंने अमर अजर अविनाशी बताया वो सभी लोग जो वास्तविक हुवे है या मनगढ़त मानव के ईश्वर अवतार बनाए हो जैसे ब्रह्मा , शिव, बलराम , कृष्ण , सभी दस अवतार मच्छ कच्छ आदि सब मर गये ! 

कबीर साहेब कहते है बड़े बड़े तथाकथीत योगी , दत्त , गोरख आदि मर गये , मरे को जिंदा करने का दंभ भरने वाले नही बचे , ना ततास्तु कह कर इच्छित वर और फल देने वाले देवी देवता आज जिंदा है और ना उनके दसों अवतार ! भाई सगुण में निर्गुण नहीं है ! निर्गुण निराकार चेतन राम कोई पत्थर पूजा , मूर्ति पूजा, अवतार की मूर्ति पूजा में नही है ! ये विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के मूर्ति पूजा के चक्रव्यूह से बाहर आवो , अवतारवाद से बाहर निकलो , वो केवल लूट पाट के धंदे है ! वैदिक ब्राह्मणधर्म कोई धर्म नही अधर्म है ! धर्म है शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित मूलभारतीय हिन्दूधर्म ! उसे मानो अंधविश्वास , विकृति छोड़ो ! परिवर्तन संसार का नियम है ! जो जन्मा वो मरेगा यह निश्चित है !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, भारत

Tuesday, 13 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 53 : Nirmohi Ram me Ramate Raho !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५३ : निर्मोही राम में रमते रहो !

#रमैनी : ५३

महादेव मुनि अन्त न पाया * उमा सहित जन्म गमाया 
उनहूं ते सिध साधक होई * मन निश्चय कहु कैसे कोई 
जब लग तनमें आहै सोई * तब लग चेति न देखई कोई 
तब चेतिहो जब तजिहो प्राना * भया अयान तब मन पछताना 
इतना सुनत निकट चलि आई * मन का विकार न छूटै भाई 

#साखी : 

तीन लोक मुवा कौवाय के, छूटि न काहु कि आस /
एकै अंधरे जग खाया, सब का भया निपात // ५३ //

#शब्द_अर्थ : 

अन्त = अंतिम रहस्य , सत्य ! सोई = प्राण , वही ! अयान = अज्ञानी , अग्यानी ! तीन लोक = तीन गुण के लोग ! एकै अंधरे = अविवेकी मन ! निपात = पतन , नीचे गिरे ! कौवाय = बड़ बड़ करना ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो लोग कहते हैं शिव शंकर महादेव कैलाश पर्वत पर आपनी पत्नी उमा , पार्वती के साथ और बच्चो के साथ रहते थे ! बहुत बड़े योगी थे , सिद्ध और साधक थे ध्यान लगाकर बैठते थे , उनको संसार की कोई सुध बुध नही रहती थी पर कोई उनकी समाधि भंग कर दे तो क्रोधित हो जाते थे ,कबीर साहेब कहते है उनको भी मन को बस में करना आसान नहीं होता था ! 

कबीर साहेब कहते है जब तक मन में कोई न कोई आस , इच्छा , तृष्णा है , चाहत है तब तक कोई भी उस चेतन राम , परमपिता परमात्मा के दर्शन नही कर सकता चाहे लाख विधि तरीके तंत्र मंत्र अनुष्ठान बताए ये कोरी कौवे की काव काव होगी !  

कबीर साहेब कहते है लोग पूरी जिंदगी इच्छा मोह माया के पीछे दौड़ते है और जब अन्त समय करीब आता है तब राम को याद करते है ! भाईयो राम चाहते हो तो इच्छा मोह माया को शुरू से ही राम राम करो , मोह माया अहंकार का त्याग करो , राग लोभ का त्याग करो ! मन में विवेक को जगावो और निर्मोही राम में रमते रहो तो जीवन और अन्त दोनो सुखद हो जायेगा ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , #भारत

Monday, 12 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 52 : Paramtatva Chetan Ram tumhare bhitar !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५२ : परमतत्व चेतन राम अपने भीतर !

#रमैनी : ५२

जेहि कारण शिव अजहुं वियोगी * अंग विभूति लाय भय योगी 
शेष सहस्त्र मुख पार न पावै * सो अब खसम सही समुझावै 
ऐसी विधि जो मोकहै ध्यावै * छठ वे मांह दरश सो पावै 
कौनहु भाव देखाई देहों * गुप्तहि रहों स्वभाव सब लेहों 

#साखी : 

कहहि कबीर पुकारि के, सबका उहैं बिचार /
कहा हमार मानै नहीं, कैसे छूटे भ्रमजार // ५२ //

#शब्द_अर्थ : 

शिव = मूलभारतीय राजा भगवान शिव ! अंग = शरीर ! विभूति = भस्म , राख ! शेषसहस्त्र = अन्य अनेक ! विधि = धर्म , विधान ! वियोगी = घर से अलग रहने वाला, सत्य की खोज में निकला ! खसम = पति , मालिक , चेतन राम ! ध्यावै = ध्यान करे ! छठये मांह = छटी इंद्री मन ! भ्रमजार = भ्रम का जाल !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है परमतत्व परमात्मा को सजीव अवतार में दर्शन करने के लिए आज तक कितने ही लोग अपना घर बार छोड़ कर योगी सन्यासी बने , वो अपने लोगोंसे दूर किसी पर्वत , पहाड़ी , जंगल , गुफ़ा में क्या क्या योग युक्ति उपास तापस हट योग करते रहे जैसे मूलभारतीय शिव शंकर अपने कुटुम्ब से अलग हिमायल में एकांत में बैठ कर परमतत्व परमात्मा चेतन राम को खोजते रहे ! उन्होंने शरीर का मोह त्याग दिया , अपने शरीर पर पड़ी मिट्टी धूल की पर्वा नही की , जहरीले सर्प की भी परवा न करते हुवे अपने योग हट योग , ध्यान में मग्न रहे पर उन्हें और अन्य उनके तरह हजारो परमतत्व को खोज कर हारे ! 

कबीर साहेब कहते है परमतत्व के सशरीर खोज के प्रयास निरर्थक है ! परमात्मा , चेतन राम के दर्शन करने है तो मेरे मार्ग से आवो ! परमात्मा कोई बाहरी सशरीर ईश्वर नही , ना वो किसी मूर्ति में रहता है न अवतार लेता है वह सब के अंतर्मन में रहता है , चेतन स्वरूप राम है जो कभी मारता नही !  

उस चेतन राम को खोजना है तो ना योगी बनो ना भोगी ! बस अपने आप को गहराई से अध्ययन करो देखो तुममे क्या क्या विकार है उन्हे बाहर करो , मूलभारतीय हिन्दूधर्म की परमात्मा दर्शन की विधि बहुत आसान है , खुद में झांको , खुद के विकार देखो उन्हे छोड़ो , सत्य अहिंसा का पालन करो , लालच मोह माया , चोरी चकारी छोड़ो ! नशा , अहंकार छोड़ो ! मेरी कही विधि धर्म का पालन छ मास करो तो देखोगे तुम्हारे अंतर्मन का मैल साफ हो जाएगा और आइने की तरह तुम्हारे खुद में वो खुदा परमात्मा नजर आएगा ! छटी इंद्री मन को सही दिशा मे लगावो मोह माया अहंकार छोड़ो ! 

#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम

Sunday, 11 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 51 : Tan Man se Suddha Bano !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५१ : तन मन से शुद्ध बनो !

#रमैनी : ५१

जाकर नाम अकहुवा रे भाई * ताकर काह रमैनी गाई 
कहैं तात्पर्य एक ऐसा * जस पंथी बोहित चढ़ी वैसा 
हैं कछु रहनि गहनि की बाता * बैठा र हैं 
चला पुनि जाता 
रहैं बदन नहिं स्वांग सुभाऊ * मन अस्थिर नहिं बोलै काहु 

#साखी : 

तन राता मन जात है, मन राता तन जाय /
तन मन एकै होय रहे, तब हंस कबीर कहाय // ५१ //

#शब्द_अर्थ : 

रमैनी = प्रशंश्या , प्रार्थना, चेतन राम में रमने वाला , उसकी महत्ता ! अकहुवा = न कहा हुवा , अन कहा ! तात्पर्य = आशय , मतलब! बोहीत = नाव , जहाज , पानी का वाहन ! काहू = क्यू कर ! राता = आसक्त ! एकै = एकाग्रता ! हंस = विवेकी , ज्ञानी !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो जिसके बारेमे तुम कुछ नही जानते उसकी महत्ता तुम क्या बतावोगे ? राम की महत्ता तो वही जान सकता है जो चेतन राम में रमता हो ! यही रमैनी है , राम में रमने वाले ही राम को जानते है ! जो नाव पर बैठ कर नदी या जहाज पर बैठ कर जो समुद्र पार करता है वही उस समय की स्थिति समज सकता है ! 

कबीर साहेब कहते हैं भाईयो मन को एकाग्र कर जब राम के दर्शन होते है वही स्वदर्शन है ! स्वयं को जानो , अंदर झाको अंतर्मन का मैल बाहर करो ! शरीर के ऊपर चंदन का लेप , माथे पर तिलक , चोटी , जनेऊ , सोवाला आदी उपरि अवडंबर से दिखावे से राम नही मिलता ! राम की झूठी स्तुति और स्तोत्र , प्रार्थना आदि से भी राम प्रसन्न नही होता ! 

कबीर साहेब कहते है ज्ञानी बनो हंस की तरह विवेकी बनो सार असार को पहचानो , अंतरबाह्य शुद्ध बनो , पाप , अधर्म छोड़ो जो विषमता शोषण वर्ण जातिवाद अस्पृश्यता आदि अमानवीय विचार है ! सत्य हिन्दूधर्म समता मानवता शील सदाचार भाईचारा है उसका पालन करो ! तन मन से विशुद्ध मूलभारतीय हिन्दूधर्मी बनो !

#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम

Saturday, 10 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 50 : Loi Moh Maya Chhodo !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५० : लोई मोह माया छोड़ो !

#रमैनी : ५०

कहइत मोहिं भयल युगचारी * समुझत नहिं मोर सुत नारी 
बंसहि आगि लागि बंसहि जरिया * भरम भूल ना धंधे परियां 
हस्ति के फंदे हस्ती रहई *मृगा के फंदे मृगा रहई 
लोहे लोह जस काटु सयाना * त्रिया के तत्व त्रिया पहिचाना 

#साखी : 

नारि रच्नते पुरुषा, पुरुष रचांते नार / 
पुरुषहि पुरूषा जो रचै, ते बिरले संसार // ५० //

#शब्द_अर्थ : 

बंस = बांस , बांबू ! सयाना = समझदार , होशियार ! तत्व = स्वभाव ! रचन्ते = रचते , रुचि कारक , प्रेम ! रचै = प्रेम करे ! बिरले = अलग ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं लोग संसारी है जैसे मैं एक संसारी हुं मेरी पत्नी लोई भी संसार में व्यस्त और मेरे बच्चे कमल और कमला भी मस्त है ! पर हर कोई मैं और मेरा में ही उलझे है जब की मैं बार बार लगातार ये समझा रहा हूं मैं और मेरा पण व्यर्थ है ! पर मेरी ये सिख मेरी पत्नी और बच्चोंको भी नही भाती ! 

नारी का स्वभाव नारी ही अच्छी तरह जानती है , जैसे बांस के घर्षण से अग्नि उत्पन्न होती है और बांस को जला देती है वैसे ही गुलामी का आदी सिखाया गया हाथी दूसरे हाथी को अपने साथ गुलामी में ले आता है ! लोगो लोहे से ही लोहा काटते है वैसे ही मैं में , मेरा पण माया मोह अहंकार भर देता है ओर मैं अर्थात उस मुक्त पुरुषोत्तम चेतन राम के अस्तित्व को इच्छा तृष्णा का गुलाम कर देता है यही बात मेरी स्त्री , बच्चे और समाज को युगों से समझाता आ रहा हूं !  

कबीर साहेब कहते है वे लोग बहुत कम है जो मेरा मूलभारतीय हिन्दूधर्म का विचार ठीक से समझते है ! संसार में हर कोई स्त्री पुरुष अपनो से प्यार करते है पर जो लोग मोह माया के बन्धन से मुक्त होकर सब के सुख शांति की कामना से जीते है ऐसा मैं अनोखा संसार चाहता हूं जहा सब के लिऐ प्रेम दया समता भाईचारा मानवता शील सदाचार हो !

#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम

Friday, 9 August 2024

Com. Dr. Kavita Vare received Mulbhartiya Samaajratn Award 2024

*किसळ ग्राम पंचायत सरपंच डॉक्टर कविता वरे यांना अखिल भारतीय स्वरूपाचा मूलभारतीय समाजरत्न पुरस्कार २०२४ ने सन्मानित*

डॉ कविता वरे (भालके), सरपंच, किसळ ग्राम, पंचायत, तालुका मुरबाड, जिल्हा ठाणे, महाराष्ट्र यांना अखिल भारतीय स्वरूपाचा नेटिव रुल मुव्हमेंट आणि मूलभारतीय विचार मंच संयुक्त स्थापित पहिला मानाचा *मूलभारतीय समाजरत्न पुरस्कार २०२४* ९ ऑगस्ट २०२४ जागतिक आदिवासी दिनानिमित्त पुष्पगुच्छ, मानपत्र, मानाचा सपेद कबीर शेला, मानाची सफेद कबीर टोपी व पुरस्कार पाकीट देऊन सन्मानित करण्यात आले. 
 डॉक्टर कविता वरे या आदिवासी समाजाच्या कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्त्या असुन उच्च शिक्षित आहेत, त्यांनी राज्यशास्त्र विषयात मुंबई विद्यापीठातून पीएचडी केली आहे.
त्यांचा कार्य आवका व्यापक असुन भारतीय समाजाचा सर्वांगीण विकास हा त्यांचा ध्यास आहे.

#नेटिव रुल मुव्हमेंट आणि #मूलभारतीय विचार मंच यांचे मनपूर्वक आभार.....
हा पुरस्कार पुढील वाटचालीसाठी प्रेरणादायी आहे...
आपले खूप खूप धन्यवाद...

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 49 : Hatya Dharm nahi Adharma hai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ४९ : #हत्या_धर्म_नही_अधर्म_है !

#रमैनी : ४९

दर की बात कहो दरबेसा * बादशाह है कौने भेषा 
कहां कुच कहां करे मुकामा * मैं तोहि पूछौ मुसलमाना 
लाल जर्द की नाना बाना * कौन सुरति को करो सलमा 
काजी काज करहुं तुम कैसा * घर घर जबह करावहु भैसा 
बकरी मुरगी किन्ह फुरमाया * किसके कहे तुम छुरी चलाया 
दर्द न जानहु पीर कहावहु * बैता पढ़ि पढ़ि जग भरमावहु 
कहहिं कबीर एक सैय्यद बोहावै * आप सरीखा जग कबुलावै 

#साखी : 

दिन को रहत हैं रोजा, राति हनत हैं गाय /
यह खून यह बंदगी, क्योंकर खुशी खुदाय // ४९ //

#शब्द_अर्थ : 

दर = द्वार , ठिकान ! दरबेसा = दरवेस , फकीर , सूफी संत ! बादशाह = खुदा , अल्ला ! जर्द = लाल ! नाना = अनेक प्रकार ! बाना = भेष ! सुरति = सूरत ! शक्ल ! काजी = इस्लामिक न्यायधीश ! जबह = गला काटना ! फुरमाया = आज्ञा ! पीर = गुरु ! बैता = कविता , शेर ! बोहवैं = मदत की पुकार ! खुदाय = खुदा ! रोजा = मुस्लिम का उपवास !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सुनो अल्ला ईश्वर का कोई भेष रूप रंग नही ना उसका कोई ठिकाना पत्ता ! इसलिए उसके नाम से उपवास कर फिर उसके नाम से ही प्राणी हत्या करना गलत है ! पीर उसी को कहते है जो दूसरे की पीड़ा , दुख जानता हो ! हत्या कर फिर अल्लाह खुदा से सुख मांगना नाही न्यायसंगत नाही है नाही वो धर्म है !  

#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम