रमैनी : ५७
कृतिया सूत्र लोक एक अहई * लाख पचास की आयु कहई
विद्या वेद पढ़े पुनि सोई * बचन कहत परतक्षै होई
पैठी बात विद्या की पेटा * वाहुक भरम भया संकेता
साखी :
खग खोजन को तुम परे, पाचे अगम अपार /
बिन परचै कस जानिहो, कबीर झूठा है हंकार // ५७ //
शब्द अर्थ :
कृतिया = कृत्रिम, बनावट ! सूत्र = वैदिक मंत्र ! सोई = वही ! पेटा = पेट , अंतकरण ! वाहूक = सामान्य लोग , भार ढोने वाले ! संकेता = इशारा ! खग = पक्षी ! पाछे = भूत काल ! बिन परचै = बिना जाने परखे ! हंकार = अहंभाव !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी ब्राह्मण और पंडित अपने धर्म ग्रंथ के सूत्र मंत्र की बड़ी तारीफ करते है कहते है होम हवन में गाय घोड़े की आहुति देने के बाद खुद उनके भगवान ब्रह्मा विष्णु इंद्र आदि सशरीर होम हवन के अग्नि से प्रगट होते है और इच्छित वर फल देते है ! वो कहते है उनके भगवान ब्रह्मा विष्णु इंद्र अमर है और उनके ब्रह्मर्षि हजारों साल जीते है जैसे परशुराम आदि वे अफवाये खूब फैलाते है जैसे जहाज संडास के मलमूत्र बाहर निकलने के लिए बनाए गए मेन होल से कोई भागे तो उसे वीर कहते है और डर के मारे किसी दीवार के ऊपर चढ़ जाए तो उसे दीवाल चलाना कहते है ! अपना घी का कोई कुत्ता चाट जाए तो उसे मारने दौड़े तो उसे कुत्ते को घी खिलाने पीछे दौड़े कहते है !
कबीर साहेब कहते ये खूब झूठ भ्रम फरेब फैलाते है जिनमे किसका अमर होना हजारों साल जीना जैसे कई गप है और सामान्य लोग इनके कु प्रचार के शिकार हो जाते है और वही झूठ आगे फैलाते है !
कबीर साहेब कहते है भाईयो किसी भी बात पर विश्वास करने के पहले उसे सामान्य ज्ञान के कसौटी पर अच्छी तरह परख लो ये वैदिक ब्राह्मण बड़े झूठे फरेबी है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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