Friday, 2 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 42

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ४२

#रमैंनी : ४२

जब हम रहल रहल नहिं कोई * हमरे माहिं रहल सब कोई 
कहहु राम कौन तेरि सेवा * सो समुझाय कहो मोहि देवा 
फुर फ़ुर कहेउ मारू सब कोई * झूठेहि झूठा संगति होई 
अधिर कहैं सब हम देखा * तहैं दिठियार बैठि मुख पेखा 
यहि विधि कहेऊं माने जो कोई * जस मुख तस जो वृदया होई 
कहहिं कबीर हंस मुसकाई * हमरे कहल दृष्ट बहु भाई 

#शब्द_अर्थ : 

जब = श्रृष्टि के प्रथम में ! हम = चेतन राम , कबीर ! राम = चेतन , स्वयं कबीर ! फुर फूर = सत्य ! दिठीयार = आंख वाला, विवेकी ! हंस = विवेकी दृष्ट = दोष वाला 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो यहां इस संसार में केवल एक ईश्वर , एक शक्ति है वो है राम , चेतन राम , कबीर ! जब च्रेतन राम कबीर अकेला था तब और कोई नहीं था ! न मेरा रंग है न रूप मैं ही वो निर्गुण निराकार अविनाशी चेतन राम कबीर हूं ! मैं ही मेरी सेवा , इच्छा पूर्ति खेल करता हूं और कोई नही ! सत्य और असत्य का वो खेल है ! जो सत्य चाहता है उसे सत्य का ज्ञान होता है और झूठे को झूठ का ! सत्य में सुख है और झूठ में दुख ! जो विवेकी हंस है वे नीरक्षीर विवेकी हंस बन सत्य और असत्य से सत्य चुनते है !  

कबीर साहेब कहते है मैं लोगोंको मानव को निरक्षिर विवेकी हंस बनाने की शिक्षा देता हूं वही मेरा धर्म है जो मन में है वही वाचा या वाणी में है और यही जीवन जीने वाले लोग मैं हंस कहता हूं !

मैं धर्म की सिख देता हूं जो शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित सत्य सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म है और मैं विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म को और अन्य असत्य धर्म को अधर्म कहता हूं और उनसे सावधान रहो , दूर रहो यही मैं बात करता हूं ! भाई मैं दृष्ट लोगो से दूर रहें बताता हूं क्यू की दृष्ट की संगत दुखदाई होती है !

#दौलतराम

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