Monday, 19 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 59 : Homhavan Murtipuja Hatyog sab Bekaar !

#पवित्र _बीजक : #प्रज्ञा _बोध : #रमैनी : ५९ : #होमहवन_मूर्तिपुजा_हठयोग_ये_सब_अज्ञान 

#रमैनी : ५९ 

चढ़त चढ़ावत भंडहर फोरी * मन नहिं जाने केकरि चोरी 
चोर एक मूसै संसारा * बिरला जन कोई बुझनहारा 
स्वर्ग पताल भूम्य ले बारी * एकै राम सकल रखवारी 

#साखी : 

पाहन हैं हैं सब गये, बिन भितियन के चित्र /
जासो कियउ मिताइया, सो धन भया न हित // ५९ //

#शब्द_अर्थ : 

भंडहर = बर्तन , शरीर ! चोर एक = अज्ञान! बारी = फुलवारी! बाग = विश्वास , मान्यता ! पाहन = अविवेकी !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं पहले विदेशी वैदिक ब्राह्मणों के होमहवन , गाय घोड़े की हवन में बली और ब्रह्मा आदि ब्राम्हण लंपट भगवान अग्नि से प्रगट होते है इसी पूजा विधान से लोगांको बेवकूफ बनाते रहे ! उसके ऊपर कुछ मूर्ति पूजक तरह तरह की हजारों मनगढंत मूर्तियां बनाकर निरर्थक मूर्ति पूजा में लगा दिया ! वही कुछ हटयोगी कुंडली आदि मन की अंधश्रद्धा को बड़ी तंत्र विधि बताकर लोगो को काल्पनिक जग में कपालभाती , खोपड़ी में मन और रुधर की सनसनाहट को ओम की आवाज बताकर पागल कर दिया और भ्रांति के जग ले जाकर विवेक को खो देकर पागल बनाने की विधि बताते रहे है जिसे वे योग माया से भगवान प्राप्ति कहते है ! वो सब कुछ हासिल किया कहते है , ये सब मार्ग बेकार है ! 

कबीर साहेब कहते हैं ये सब अज्ञानी है , वास्तविकता नही जानते या उससे दूर भाग रहे है ! भाईयो अपने आप को पहचानो , चेतनराम तुम्हारे खुद में है उसकी बाहरी पूजा की कोई जरूरत नहीं ! न खोपड़ी फोड़ हठयोग की न वैदिक झूठे देवी देवता अवतार की !

अपने कर्म के मालिक और फल देने लेने भुगतने वाले तुम खुद हो , वो चेतन राम सब के लिऐ समान न्यायी है ! सहज रहो , शील सदाचार का पालन करो तभी राम के दर्शन होंगे अन्य किसी मार्ग से नही ! अन्य मार्ग केवल मानसिक आजार , भ्रम , दृष्टि दोष और अज्ञान है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस  
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, भारत

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