Thursday, 15 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 55 : Karm Fal !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५५ : #कर्मफल_सब_को_मिलता_है !

#रमैनी : ५५

गये राम औ गये लछमना * संग न गई सीता ऐसी धना 
जात कौरव लागु न बारा * गये भोज जिन्ह साजल धारा 
गये पांडव कुंता ऐसी रानी * गये सहदेव जिन बुधी मति ठानी 
सर्व सोने की लंका उठाई * चलत बार कछु संग न लाई 
जाकर कुरिया अंतरिक्ष छाई * सो हरिचन्द देखल नहिं जाई 
मुरख मनुसा बहुत संजोई * अपने मरे और लग रोई 
ई न जानै अपनेउ मरि जैबे * टका दश बिढई और ले खैबे 

#साखी : 

अपनी अपनी करि गये, लागि न काहु के साथ /
अपनी करि गये रावणा, अपनी दशरथ नाथ // ५५ //

#शब्द_अर्थ : 

धना = गृह लक्ष्मी , सुन्दरी , सुंदर युवती ! धारा = धरती या नगरी ! अंतरिक्ष = आकाश ! मनुसा = मनुष्य ! संजोई = संग्रह ! बिधई = वृद्धि करना !  

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो राजा राम चले गये , लक्ष्मण भी मर गये , राम की सुंदर स्त्री सीता जिसके लिये राम ने रावण के साथ युद्ध किया वो पत्नी भी चली गई ! कौरव पांडव और बुद्धिमान सहदेव भी मर गये और राजा भोज जिसने धरती को सजाया और सोने की लंका के अधीपति रावण भी मर गया , पर रावण सोने की लंका अपने साथ नही ले जा सका ! जिसकी कीर्ति आकाश पताल और धरती पर छाई रही वो राजा हरिशचंद्र मर गया !

कबीर साहेब कहते है भाईयो मानव बड़ा मूर्ख है खुद मरता है , उसके खुद के जीवन का कोई भरोसा नहीं पर दूसरे के मरने से दुखी होता है ! बहुत धन संपत्ति इकठ्ठा करता है, दान पुण्य करता नही और बीबी बच्चों रिश्तेदार के लिये छोड़ जाता है जो अधिक मालकी मिले करके इनके मरते ही लड़ना शुरू करते है ! 

भाईयो अपने अपने कर्म से सभी फल भुगतते है चाहे दशरथ के पुत्र राजा राम हो या लंका का अधिपति रावण ! सभी मोह माया अहंकार के कारण कर्म फल भुगते और मरे ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस #दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

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