Tuesday, 20 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 60 : Pratishtha Dharmik Jivan Me !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६० : #सच्ची_प्रतिष्ठा_धार्मिक_जीवन_में !

#रमैनी : ६०

छाड़हु पति छाड़हु लबराई * मन अभिमान छूटि तब जाई 
जिन ले चोरी भिक्षा खाई * सो बिरवा पलुहवान जाई 
पुनि सम्पति औ पति को धावै * सो बिरावा संसार लै आवै 

#साखी : 

झूठ झूठा कै डारहू, मिथ्या यह संसार / 
तेहि कारण मैं कहत हों, जाते होय उबार // ६० //

#शब्द_अर्थ :

लबराई = लबाड़ी , झूठ बोलना ! पति = स्वामी , मालकी ! साख = रोब, मान ! बिरवा = वृक्ष , संसार ! पलुहावन = पल्लवित हराभरा ! धावै = दौड़ना , ध्यान करना !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो इस संसार में लोग धार्मिक जीवन जीने के बजाय सांसारिक वस्तुएं संग्रहित करने में जादा रुचि ले रहे है झूठ बोल रहे है चोरी कर रहे है शक्तिवान और समर्थ होने के बाद भी भिकारी की तरह दूसरे के श्रम और संपत्ति पर स्वामित्व और उस पर मजेसे जीना चाहते है ! संपत्ति की लालच में पड़े लोग झूठ पर झूठ बोलते है और उसी के पिछे पड़े रहते है ! उनको लगाता है अधिक संपत्ति का मतलब अधिक प्रतिष्ठा , ज्यादा मान , रोब !

कबीर साहेब कहते हैं कोई बिरला ही है जो इस मिथ्या रोब प्रतिष्ठा अहंकार को समझता हो और संसार के क्षणभंगुर वस्तु के पीछे भागने के बजाय राम को जो प्रिय है मर्यादा में जीता है ! धर्म में जीता है ! भाईयो जब अधर्म लोभ लालच में जीवोगे तो संसार के जीवन मरण और दुख से कैसे निकलोगे , कैसे बचोगे ? लालच मोह माया झूठ मुफ्तखोरी चोरी से बाहर निकलो और सद्धर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म की राह पर चलो तभी तुम्हे सच्चा सुख शांति और प्रतिष्ठा मिलेगी !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

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