#रमैनी : ५४
मरिगौ ब्रह्मा काशी को बासी * शीव सहित मूये अविनासी
मथुरा को मरिगौ कृष्ण गोवारा * मरि मरि गये दशों अवतारा
मरि मरि गये भक्ति जिन्ह ठानी * सगुर्ण मां निगुर्ण जिन्ह आनी
#साखी :
नाथ मछन्दर बाँचे नहीं, गोरख दत्त औ व्यास /
कहहिं कबीर पुकारि के, ई सब परे काल के फाँस // ५४ //
#शब्द_अर्थ :
अविनासी = जिसका नाश नही होता वो चेतन राम ! गोवारा = गोपाल , कृष्ण , बलराम ! दशों अवतारा = वैदिक ब्राह्मणधर्म की दस अवतार कल्पना ! नाथ मछन्दर = गोरखनाथ के गुरु मछिन्दरनाथ ! दत्त = वैदिक ब्राह्मणधर्म का एक काल्पनिक देवता ! व्यास = ब्राह्मण धर्मग्रंथ चार वेद का लेखक ! काल के फाँस : मृत्यु !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो जो भी देह धारण करने वाले जीव जंतु हो या अन्य सब को परिवर्तन की अवस्था से निरंतर गुजारना पड़ता है , जुड़ना टूटना का खेल निरंतर जारी है इस लिए जन्म मरण का सिलसिला निरंतर चालू है ! जो जन्मा और जिनको विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोगोंने अमर अजर अविनाशी बताया वो सभी लोग जो वास्तविक हुवे है या मनगढ़त मानव के ईश्वर अवतार बनाए हो जैसे ब्रह्मा , शिव, बलराम , कृष्ण , सभी दस अवतार मच्छ कच्छ आदि सब मर गये !
कबीर साहेब कहते है बड़े बड़े तथाकथीत योगी , दत्त , गोरख आदि मर गये , मरे को जिंदा करने का दंभ भरने वाले नही बचे , ना ततास्तु कह कर इच्छित वर और फल देने वाले देवी देवता आज जिंदा है और ना उनके दसों अवतार ! भाई सगुण में निर्गुण नहीं है ! निर्गुण निराकार चेतन राम कोई पत्थर पूजा , मूर्ति पूजा, अवतार की मूर्ति पूजा में नही है ! ये विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के मूर्ति पूजा के चक्रव्यूह से बाहर आवो , अवतारवाद से बाहर निकलो , वो केवल लूट पाट के धंदे है ! वैदिक ब्राह्मणधर्म कोई धर्म नही अधर्म है ! धर्म है शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित मूलभारतीय हिन्दूधर्म ! उसे मानो अंधविश्वास , विकृति छोड़ो ! परिवर्तन संसार का नियम है ! जो जन्मा वो मरेगा यह निश्चित है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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