Friday, 9 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 49 : Hatya Dharm nahi Adharma hai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ४९ : #हत्या_धर्म_नही_अधर्म_है !

#रमैनी : ४९

दर की बात कहो दरबेसा * बादशाह है कौने भेषा 
कहां कुच कहां करे मुकामा * मैं तोहि पूछौ मुसलमाना 
लाल जर्द की नाना बाना * कौन सुरति को करो सलमा 
काजी काज करहुं तुम कैसा * घर घर जबह करावहु भैसा 
बकरी मुरगी किन्ह फुरमाया * किसके कहे तुम छुरी चलाया 
दर्द न जानहु पीर कहावहु * बैता पढ़ि पढ़ि जग भरमावहु 
कहहिं कबीर एक सैय्यद बोहावै * आप सरीखा जग कबुलावै 

#साखी : 

दिन को रहत हैं रोजा, राति हनत हैं गाय /
यह खून यह बंदगी, क्योंकर खुशी खुदाय // ४९ //

#शब्द_अर्थ : 

दर = द्वार , ठिकान ! दरबेसा = दरवेस , फकीर , सूफी संत ! बादशाह = खुदा , अल्ला ! जर्द = लाल ! नाना = अनेक प्रकार ! बाना = भेष ! सुरति = सूरत ! शक्ल ! काजी = इस्लामिक न्यायधीश ! जबह = गला काटना ! फुरमाया = आज्ञा ! पीर = गुरु ! बैता = कविता , शेर ! बोहवैं = मदत की पुकार ! खुदाय = खुदा ! रोजा = मुस्लिम का उपवास !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सुनो अल्ला ईश्वर का कोई भेष रूप रंग नही ना उसका कोई ठिकाना पत्ता ! इसलिए उसके नाम से उपवास कर फिर उसके नाम से ही प्राणी हत्या करना गलत है ! पीर उसी को कहते है जो दूसरे की पीड़ा , दुख जानता हो ! हत्या कर फिर अल्लाह खुदा से सुख मांगना नाही न्यायसंगत नाही है नाही वो धर्म है !  

#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम

No comments:

Post a Comment