Monday, 12 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 52 : Paramtatva Chetan Ram tumhare bhitar !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५२ : परमतत्व चेतन राम अपने भीतर !

#रमैनी : ५२

जेहि कारण शिव अजहुं वियोगी * अंग विभूति लाय भय योगी 
शेष सहस्त्र मुख पार न पावै * सो अब खसम सही समुझावै 
ऐसी विधि जो मोकहै ध्यावै * छठ वे मांह दरश सो पावै 
कौनहु भाव देखाई देहों * गुप्तहि रहों स्वभाव सब लेहों 

#साखी : 

कहहि कबीर पुकारि के, सबका उहैं बिचार /
कहा हमार मानै नहीं, कैसे छूटे भ्रमजार // ५२ //

#शब्द_अर्थ : 

शिव = मूलभारतीय राजा भगवान शिव ! अंग = शरीर ! विभूति = भस्म , राख ! शेषसहस्त्र = अन्य अनेक ! विधि = धर्म , विधान ! वियोगी = घर से अलग रहने वाला, सत्य की खोज में निकला ! खसम = पति , मालिक , चेतन राम ! ध्यावै = ध्यान करे ! छठये मांह = छटी इंद्री मन ! भ्रमजार = भ्रम का जाल !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है परमतत्व परमात्मा को सजीव अवतार में दर्शन करने के लिए आज तक कितने ही लोग अपना घर बार छोड़ कर योगी सन्यासी बने , वो अपने लोगोंसे दूर किसी पर्वत , पहाड़ी , जंगल , गुफ़ा में क्या क्या योग युक्ति उपास तापस हट योग करते रहे जैसे मूलभारतीय शिव शंकर अपने कुटुम्ब से अलग हिमायल में एकांत में बैठ कर परमतत्व परमात्मा चेतन राम को खोजते रहे ! उन्होंने शरीर का मोह त्याग दिया , अपने शरीर पर पड़ी मिट्टी धूल की पर्वा नही की , जहरीले सर्प की भी परवा न करते हुवे अपने योग हट योग , ध्यान में मग्न रहे पर उन्हें और अन्य उनके तरह हजारो परमतत्व को खोज कर हारे ! 

कबीर साहेब कहते है परमतत्व के सशरीर खोज के प्रयास निरर्थक है ! परमात्मा , चेतन राम के दर्शन करने है तो मेरे मार्ग से आवो ! परमात्मा कोई बाहरी सशरीर ईश्वर नही , ना वो किसी मूर्ति में रहता है न अवतार लेता है वह सब के अंतर्मन में रहता है , चेतन स्वरूप राम है जो कभी मारता नही !  

उस चेतन राम को खोजना है तो ना योगी बनो ना भोगी ! बस अपने आप को गहराई से अध्ययन करो देखो तुममे क्या क्या विकार है उन्हे बाहर करो , मूलभारतीय हिन्दूधर्म की परमात्मा दर्शन की विधि बहुत आसान है , खुद में झांको , खुद के विकार देखो उन्हे छोड़ो , सत्य अहिंसा का पालन करो , लालच मोह माया , चोरी चकारी छोड़ो ! नशा , अहंकार छोड़ो ! मेरी कही विधि धर्म का पालन छ मास करो तो देखोगे तुम्हारे अंतर्मन का मैल साफ हो जाएगा और आइने की तरह तुम्हारे खुद में वो खुदा परमात्मा नजर आएगा ! छटी इंद्री मन को सही दिशा मे लगावो मोह माया अहंकार छोड़ो ! 

#कबीरसत्व_परमहंस_दौलतराम

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