#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६४ : #सदधर्म_मूलभारतीय_हिन्दूधर्म !
#रमैनी : ६४
काया कंचन जतन कराया * बहुत भ्रान्ति के मन पलटाया
जो सौं बार कहों समुझाई * तैयो धरो छोरि नहिं जाई
जन के कहैं जन रहि जाई * नौ निद्धि सिद्धि तिन पाई
सदा धर्म जाके वृदया बसई * राम कसौटी कसतहि रहई
जो रे कसावै अन्ते जाई * सो बाउर आपुहि बौरई
#साखी :
ताते परी काल की फाँसी, करहु न आपन सोच /
जहां संत तहां संत सिधावैं, मिलि रहै धुतहि धुत // ६४ //
#शब्द_अर्थ :
पलटाया = घुमाया ! धरो = पकड़ा ! जन = लोग , योगी ! नौ निद्धि = कुबेर के खजाने ! सिद्धि = अष्ट सिद्धियां ! सदा धर्म = सदधर्म , मूलभारतीय हिन्दूधर्म ! अंतई = अनात्म, अलग ! बाउर = मूर्ख ! काल = कल्पना , अज्ञान ! सोच = विचार , चिंतन ! धूत = धूर्त , छल , कपट !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है लोग विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म की अंधश्रद्धा, विकृति , अधर्म और न जाने कौन कौन से गप पर विश्वास करते है उनमें से एक है योगी की हट योग से रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति और लोग उसपर विश्वास करते है ! कुबेर का छुपा खजाना प्राप्ति की अघोरी विधि ! नर बलि आदी काली जादू से छुपी धन दौलत की प्राप्ति की विधि , पूजा आदि ! लोगों को सोना चांदी धन दौलत का मोह है इसलिए ऐसी नाना विधि से ये लोग उम्र बढ़ाना , लंबी आयु जीना , छुपा धन आदि कुबेर का धन प्राप्त करना चाहते हैं जब की मैं बार बार समझा रहा हूं भाईयो योग , काला जादू से धन संपत्ति या छुपा खजाना आदि नही मिलता ! ना कोई अमर अजर होता है !
सदधर्म को वृदाय से अनुसरण करो ,उस चेतन राम को याद रखो जो तुमसे शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा का धर्म आचरण चाहता है अपने आप से पूछो क्या आप सदधर्म, मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करते हो ?
कबीर साहेब कहते है वैदिक अधर्म और मूर्ख कर दने वाली योग सिद्धि आदि मनगढ़ंत बतोसे ना शरीर संपदा मिलेगी ना सोना चांदी और अन्य संपत्ति ! धूर्त लोग अपना उल्लु सीधा करने के लिए अपने निजी स्वार्थ के लिए , फायदे के लिए गलत सलत विधि विधान और अधर्म बताते है जो धर्म नही है ! अधर्म से भला होना संभव नहीं !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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