Tuesday, 13 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 53 : Nirmohi Ram me Ramate Raho !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ५३ : निर्मोही राम में रमते रहो !

#रमैनी : ५३

महादेव मुनि अन्त न पाया * उमा सहित जन्म गमाया 
उनहूं ते सिध साधक होई * मन निश्चय कहु कैसे कोई 
जब लग तनमें आहै सोई * तब लग चेति न देखई कोई 
तब चेतिहो जब तजिहो प्राना * भया अयान तब मन पछताना 
इतना सुनत निकट चलि आई * मन का विकार न छूटै भाई 

#साखी : 

तीन लोक मुवा कौवाय के, छूटि न काहु कि आस /
एकै अंधरे जग खाया, सब का भया निपात // ५३ //

#शब्द_अर्थ : 

अन्त = अंतिम रहस्य , सत्य ! सोई = प्राण , वही ! अयान = अज्ञानी , अग्यानी ! तीन लोक = तीन गुण के लोग ! एकै अंधरे = अविवेकी मन ! निपात = पतन , नीचे गिरे ! कौवाय = बड़ बड़ करना ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो लोग कहते हैं शिव शंकर महादेव कैलाश पर्वत पर आपनी पत्नी उमा , पार्वती के साथ और बच्चो के साथ रहते थे ! बहुत बड़े योगी थे , सिद्ध और साधक थे ध्यान लगाकर बैठते थे , उनको संसार की कोई सुध बुध नही रहती थी पर कोई उनकी समाधि भंग कर दे तो क्रोधित हो जाते थे ,कबीर साहेब कहते है उनको भी मन को बस में करना आसान नहीं होता था ! 

कबीर साहेब कहते है जब तक मन में कोई न कोई आस , इच्छा , तृष्णा है , चाहत है तब तक कोई भी उस चेतन राम , परमपिता परमात्मा के दर्शन नही कर सकता चाहे लाख विधि तरीके तंत्र मंत्र अनुष्ठान बताए ये कोरी कौवे की काव काव होगी !  

कबीर साहेब कहते है लोग पूरी जिंदगी इच्छा मोह माया के पीछे दौड़ते है और जब अन्त समय करीब आता है तब राम को याद करते है ! भाईयो राम चाहते हो तो इच्छा मोह माया को शुरू से ही राम राम करो , मोह माया अहंकार का त्याग करो , राग लोभ का त्याग करो ! मन में विवेक को जगावो और निर्मोही राम में रमते रहो तो जीवन और अन्त दोनो सुखद हो जायेगा ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , #भारत

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