Thursday, 22 August 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Ramaini : 62 : Videshi Vaidik Brahman Dharm aur Turki Muslim Dharm Chhodo Swadeshi Mulbhartiya Hindhudharm ka palan karo !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #रमैनी : ६२
#वैदिक_ब्राह्मणधर्म_तुर्की_मुस्लिमधर्म_छोड़ो_स्वदेशी_मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_का_पालन_करो !

#रमैनी : ६२

जो तू करता बर्ण बिचारा * जन्मत तीनि दण्ड अनुसारा 
जन्मत शुद्र मुये पुनि शुद्रा * कृतम जनेऊ घाली जग धन्दा 
जो तू ब्राह्मण ब्राह्मणी को जाया * और राह दे काहे न आया 
जो तू तुरक तुरकनि को जाया * पेटहि काहे न सुन्नति कराया 
कारी पियरी दूहहु गाई * ताकर दूध देहु बिलगाई 
छाड़ु कपट नर अधीक सयानी * कहहि कबीर भजु सारंग पानी 

#शब्द_अर्थ : 

तीन दण्ड = तीन विधान , कानून ! अनूसारा = के अनुसार ! कृतम = कृत्रिम , बनावटी ! धन्दा = व्यवसाय ! जनेऊ = कृत्रिम धागा ! सुन्नति = मुस्लिम सुन्नत के, खतना ! भजु = मानना ! सारंग पानी = विषमता अन्याय के खिलाफ धनुष्य बाण लेकर लड़ने वाला राम , कृष्ण , शिव आदि मूलभारतीय वीर पुरुष 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पंडे पुजारी अपने धर्मग्रंथ वेद के आधार पर यह बताते है की तीन वर्ण ब्राह्मण , क्षत्रिय वैश्य ये सवर्ण है और शुद्र ये अवर्ण है , अवर्ण से ही बने अस्पृश्य इन सब के लिऐ अलग अलग विधान यानी कानून है और कर्तव्य और सजा या दंड भी अलग अलग है ! ब्राह्मण को सब अपराध माफ है वो सभी सवर्ण अवर्ण का मालिक है उनकी सर्व संपत्ति , बालबच्चे , बीबी , संपत्ति अधिकार आदि सभी ब्राह्मण के अधीन और इच्छा अनुसार ही है ! यहां तक की उनके देवी देवता ब्रह्मा , इंद्र , विष्णु , सोम , रुद्र , अग्नि आदि वैदिक ब्राह्मण के मंत्र और पूजा तंत्र के अधीन है जब बुलाएंगे होम के अग्नि कुंड से प्रगट होना होगा इत्यादि इत्यादि 

कबीर साहेब वेद और दंड संहिता मनुस्मृति को नकारते हुवे बताते है कृत्रिम जनेऊ पहनने से कोई ब्राह्मण नही होता , दम है तो ब्राह्मण अपने मां के पेट से जनेऊ पहना बाहर आ ! कबीर साहेब वैसे ही तुर्क से ले आए मुस्लिम धर्म के लोगोंको सुन्नत कर मुस्लिम बनाने के रीती को भी नकारते है और कहते है हे मुस्लिम तू अपने मुस्लिम मां के पेट से सीधा सुन्नत कराकर जन्म लेकर बता !

कबीर साहेब कहते काली हो या पीली गाय का दूध जिस प्रकार एक होता है समान और सफेद होता है वहा विषमता नही होती है वैसे ही मानव का जन्म एक तरीके से होता है और सभी मानव समान है , उसमे वर्ण जाति का भेद नहीं किया जा सकता ना कोई उचनीच अस्पृश्य है ! ना कृत्रिम तरीके से किसी को उचनिच अस्पृश्य बनाया जा सकता है !

कबीर साहेब यूरेशिया से आया वैदिक ब्राह्मणधर्म और तुर्क से आया मुस्लिम धर्म और उस धर्म के लोगोंको विदेशी और गैर भारतीय मानते हुवे गैर हिन्दू मानते है और अपने मूलभारतीय सिंधु हिंदू संस्कृति जो अत्यंत प्राचीन काल से चली आ रही है उस आद्द, आदिवासी , मूलभारतीय सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक शील सदाचार भाईचारा पर आधारित सत्य हिन्दू धर्म मूलभारतीय हिन्दू धर्म का विचार को बताते हुवे उसका पालन करने की बात करते है ! 

कबूर साहेब कहते है कपट छोड़ो कृत्रिम जनेऊ , सुन्नत छोड़ो भेदभाव वाला वैदिक ब्राह्मणधर्म छोड़ो अपना मूलभारतीय हिन्दूधर्म मानो और उसका पालन करो ! कबीर साहेब कहते हैं मैं उन विरोंको नमन करता हुं जो तीर तलवार ले कर अन्याय , विषमता , वर्ण जाति भेद , अस्पृश्यता आदि अमानवीय धर्म विकृति से लड़ें है उन धनुर्धर सारंगपानी राम को मेरा नमन ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , भारत

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